मेरी प्रिय कहानिया | Meri Priye khaniya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Meri Priye khaniya  by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
महेन्द्रसिह ने मूक दृष्टि से सुरजीत की श्रोर देवा । वह श्रपनी चरा रे पनी ई कह्‌ रही धी, प्राप पुरुप लोग यह्‌ समके दै फ्रि जीविका कमाने के तिर्‌ तो मेहनत करते ह प्रीरये स्वरिया घरमे वेकार वरैटी रोटिवा नो दी हैं । इसलिए घर-गिरस्ती का श्र अपना जितना मी वोक इनपर डाला जाए उतना हो ठाक् 1 किन्तु हम श्रौरते घर में भ्रपना दिन किम तरह गुजारती हैं यह हमे हो पता है। झरापकी नौकरी तो कुछ घटों की होती है फिन्तु हम चौबीस घटे के लौकर है छोए ऐसे नौकर कि जिनके काम को काम नहीं समका जाता । श्राप अपने सालिकों से दया श्रौर सहानुभूति की श्राणा रखते है किन्तु हमपर श्राप घायद भूवकर सी यया दिखाना नही चाहते । श्राज मेरा जरा-सा घ्यान चूक जाता तो पप्पी रटोय से जय जानी श्रौर पता नही कितनी मुमीवते उठानी पड़ती । इसको चचाने मे सारी सत्य जमीन पर गिर गई । मेरे कपडे खराब हो गए श्रौर उसपर भी कर्ड जगह गम छीट पड गए तब से यह लगातार रो रही है ।'' महेनद्रसिद ने खेद भ्रौर उत्मुकता मिली दृष्टि से पप्पी की श्रोर देखा । उसकी वादो पर दो-तीन जगह नीली दवा लगी हुई थी । महेन्द्रसिह क्रोप से उचल परे और वोले, “मैंने तुमसे कई दफा कहा कि एक नौकर रख ले । लेकिन तुम दो कि मेरी वात सुनती ही नही । वह्‌ चोली, मुभे क्या नौकर से कोई चिढदै? श्रगर् यह्‌ सर्च बचाना चाहनी ह तो क्या ग्रपने लिए ? कल श्रगर हमारे पास दो-चारपैतेन हुए तो श्रापके माता-पिता श्रापको नही, मुभे दोप देंगे कि इसने समय-बुसमय के लिए चार पैसे भो वचाकर नही रखे ।'' सुरजीत ने देखा, पप्पी उसके कथे पर सिर रखे सो गई है। उसने उसे धीरे से „+ लिटा दिया श्रौर त्रपना मूह्‌ पोती हई रसोई मे चली गई । . महेन्द्रसिह की दृष्टितो पत्रिका के पृष्टो पर लगी थी किन्तु विचारो काभभा कही घर चल रहा था । अपने तीन-चार वर्प के विवाहित जीवनमे उन्होने सुरजीत के नो मे इस प्रकार के श्रासू कमी नहीं देखे थे । श्रा कौ उसकी बातों ने उन्हे भकभकोर दिया था । 14. क 6 न केरलियाथाकिग्रववे श्रपने छोटे-मोरे 1 हो सकेगा घर के काम मे सुरजीत का




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now