विद्यार्थी जैनधर्म शिक्षा | Vidhyarthi Jain Dharma Shiksha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| १३. ग्यारह प्रतिमार्थोक्रा स्वरूप १९१ ददावां अध्याय । जनेकि मेद ..१९६ गहादीग्स्वामोकी नम्र दीक्षा २०० ० द्वे० की साम्यता ...२०९ ग्य।रटवां अध्याय । जन गौर बोद्ध धम ....२२२ गौतम बुद्ध जन सुनि... २२२ पिदहिताश्रवपिधगो स जनी २२२ नोद्ध ग्रंथों में मोक्षका स्वनूप २९८ आत्माका स्वरूप २२९ क ॐ @ के मोक्षिमाम ..-.२३१ ,; कर्मघन् २३४ , खदिसा ,,.२३५ „ मांस निपेध ....२३६ वारहवां अध्याय । भगवद्गीता मोर जेनघम २९५ गीतामें अकर्तावाद व स्प मत....२५६. ;; वेदांत मत ,...२६० तेरह्यां अष्फाप | जनध मोर हिंदू दुशन ....२६६ क की 1 थ न्याय दीन ..-. ~ -..२६६. व्रयो पिक ददन ..२६८ सांख्य ददान .... ,...२६९ शरोग दयान २७३ पूव मोमांा २७४ उत्तर मीमांसा ७५ विडिष्टाट्रेत २७९ छुद्धादंत >>. क रत . ..२७९ धियोसोसी क समा डे मार्यसमाज ईसाई मत . , ..म.टिसा ....२८ दे मे मात्म निर्वाण २८४ 2 म मन्न निपेष २८९ ) मृ बहि निपेष्र ....३८८ पासी .... ०*०= 39 मुतदिम धम . = ६१ ); में दया... ....२९४ > में दाफाहार -,, ५, श्छ ८ ह ४




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