आत्मशुद्धि भावना | aatm suddhi bhavna

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
aatm suddhi bhavna  by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
म = === = पल ( ७ ) उत्तर नद । देखा मानने पर पिले जीव शुद्ध है दस प्रकार सानना पडेगा । जव जीव सर्वथा शुद्ध मानलिया गया तो फिर | इसको कर्म लगे क्यों ? तथा इस प्रकार मानने पर अजीव श्रथवा खिद्धों को भी कमे लग जाएँगे इसलिये यद्द पत्त भी 2 हा नहीं दे । प्रश्च--तो कया श्रात्मा श्रीर कमै युगपत्‌ समय म दी उत्पन्न हुए 1 उत्तर--नहीं । क्योकि इस प्रकार मानने पर 'छात्मा और करमे दोनों दी उत्पत्ति धर्म वाले मानने पढ़ेंगे । सो जब आत्मा और कमै उत्पत्ति घम वाले है तव न का विनाश भी मानना पड़ेगा । तथा फिर दोनों की उत्पत्ति म दोनो के पष्टले कारण क्या कया थे क्योकि कारण के मानने पर ही कार्य माना जा सकता है जैसे मिट्टी से घड़ा। इसलिये यद्द पक्त भी ठीक नहीं प्रतीत दोता 1 प्रश्न--तो क्या फिर जीव सदा कर्मी स रदित ही है ? उत्तर--यह पक्त भी ठीक नदीं दे । क्योकि जब जीव कमी से रहित ही मान लिया तो फिर इसको कम लगे स्यो? तथा कर्मों के घिना ये संसार में दु ख घा खुख किस प्रकार भोग ९ सकता दै! तथा यदि क्म रहित भी श्चात्मा ससार चक्रमे परिश्रमण कर सकता है तो फिर सुक्कात्माएं भी संसार चक्र में ६ परिश्रमण करने वाली माननी पदगी । अतः ज्ञीव कर्मों से ही रदित भी नदी माना जा सकता 1 ही प्रश्न--तो फिर जीव श्चौर कर्म का स्वरूप किस यकार ५ मानना चादिष्ट है 4349 ल ग भट इल्टिर्कड स्टिस्क अन्ना अर सह रमन न्त रन्न ॥ उत्तर--जीव श्रौर कमै का सम्बन्ध अनादि काल से है। ॥ त-न न्क ना पथ यप जम




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now