विभक्ति - संवाद | Vibhakti - Sanvad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नमोत्थुण समणस्स भगवभो मद्दावीरस्स
पूवेरद्ग
सानन का महीना है। आकाश में चारों ओर घनघोर
घटाएँ उमड़ रही हैं मेघ की गम्भीर गजना से द्सों दिश्ाएँ
मुखरित हो रही हैं । शीतल, मन्द पवन के झोंके आ रहे हैं ।
प्रीष्म ऋतु में सूय के प्रचण्ड ताप से उत्तप्र भूमि अविच्छिन्न
जलधारा के द्वारा शान्त हो चुकी है। प्रकृति-नटी वषौ ऋतु का
नवीन परिधान प्न कर विश्च के रङ्गमञ्च पर एक नयां खेट
खेलने में प्रवृत्त हे !
चम्पा नगरी का पृणमद्र-उद्यान आज अभिनव सौन्दयं से
सुन्नोभित है । प्रत्येक वृक्ष अपूव शोभा को धारण किए हुए है ।
वैयराज मेघ ने जढधारा से सिंचन कर मानों वृक्षों का काया-
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