योग प्रदीप | Yoga Pradip

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Yoga Pradip by श्री अरविन्द - Shri Aravind

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री अरविन्द - Shri Arvind

Add Infomation AboutShri Arvind

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
यागप्रदीप का प्रकट करना ओर जड पार्थिव प्रकृतिमें दिव्य जीवन निमाण करना इसका लक्ष्य दे । यह बड़ा ही दुर्गम लक्ष्य ओर कठिन योगसाघन है; बहुतेरीका; या. प्राययाः सभी लोगौका यद्द असम्भव दी प्रतीत दागा । सामान्य, अनभिज्ञ जगच्येतनाम अज्ञानकी जा शक्तियों जमकर उटी हदं हैं वे इसके विरुद्ध हैं, इसका होना दी नदी मानती ओर इसक्र दानम बाधा दी डान््नेका यन्न करती हैं और साधक स्वयं भी ८ खेगा कि उसके अपने मन; प्राण और झरीर इसकी प्राप्तिम कितनी जबरदस्त रुकावटें डालते हैं । यदि तुम इस लक्ष्यको सर्वात्मना स्वीकार कर सको; इसके लिये सब कठिनाइयोंका सामना करनेके लिये तैयार हो; पीछे जो कुछ हुआ उसे और उसके बन्घनोंकों पीछे छोड़ दो ओर इस मगवद्मावकी संभावनाके लिये सब कुछ छोड़ दनके लिये; तथा आगे फिर जो कुछ हो उसके लिये, तेयार हो जाओ, तो दी तुम यह आशा कर सकते हो कि इस योगसाघनाकरे पीछे जा मददत्सत्य छिपा हुआ है उसे स्वानु- भवसे टू ढ़कर प्राम कर सकोंगे । इस योगकी साधनाका कोई बघा हुआ मानसिक अभ्यासक्रम या ध्यानका कोई निश्चित प्रकार अथवा कोई मन्त्र या तन्त्र नहीं हे । यह साधना साघकके छुृदयकी अभीप्सासे आरम्भ हाती है । साधक आरम्भमे अपने ४; | ४ |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now