कोटा जिला में मसूरिया उत्पादन | Kota Jila Me Masuriya Utpadan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
193
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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मुगढ़ साम्राज्य के उत्कर्षो काठ मैं साग्राट शातनहां को स्वीकृति पर, युगठाँ ई
चीनस्य लव राजा' एननसिंठ के यारा सतू १६२४ में बे दितोय युध साथी सिंद |
की बुन्दी पाज्य का सक़ माग बड़ग सै देकर की यर्थ । उदयम से छगाकर सत १६४प'
मैं एकीकरण तक यत राज्य था दासत्व कै काठ मैं घन्मा चा घीवन मर दासत्व
ही बढ़ा व एटा । समय समय पर यहां कै परम्परागत वण्निवंतौ वौष्ान एामयुः
फ वंन द्रा राजत एना तै मूठ, मराठा व र्ना की अवोनता स्तोका
कट अप्त यस्तित्य फा यत्य वात्र रखा । पुर सड़ाटाँ की विविध प्रकार सै
सैवारी' के उपग्रषा में यहां के शासकों को १६२५ एवा व १७०३ ई माएाव
पदः दी गमि आण तक चडढ़ी' वा एती' है । मार्धौसिंद थी, मसीमसिंद थी,
पर्नशाठ णी, पाठ पौ» उम्मैदर्थिंह घो एवं वर्तमान मटाएव मोमसिंए थी प
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मष्त्यपूणः घटना एनत मीः $ फौज्दार मूर्ती काला -एभपूत नामि ¦ ॥
सम्भन्य मैं है, जिसने फाबिदाए कै रूप मैं हो राज्य का सम्पूर्ण निर्वणा घौ
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कर माला के नाम सै और फाठावाड़ राज्य को स्थापता का कौटा -एज्य ~
धघराने के एस कंडक की एमेशा के डिये दूर किया गया 1
दासत्व ष स्वाभितान दा विपरीत गुण हैं । दासत्थ मैं घन्म रिया
फुआ राज्य स्वतंत्रता के स्वप्न कठिनार्ब मै ही देख सकता है । एसीछ़िए लिंग प्रा
यहाँ के शासक घुगठाँ, मराठी सं अ्ैगाँ को वाधोगता स्वीकार करी मैं पीछे नएं
रं उसो प्रार् स्वत्वा क वाद एकीकरण कर राष्ट्रमण्ति का परिचय दैनै मैं
भी राजस्थान कै राणा मैं आुदा यो हैं । २४ सार्न, १६४८ कौ रायस्थान व. 1
बेड १८, १६४८ की युनाशटेड राजस्थान यूवियत के विमाणि मैं जुआ बनकर यां
कै षाव नै परमस: राज प्रमुत व उपराण प्रपुस का' पद सुशीसित किया है| - ||;
पराकषिष वं मानयौय परिस्थितियां :~ समानत्र परिस्थिततियाँ की उपन है ॥
परिस्थितियां मनुष्य को आर्थिक उन्नति कै क्षै चिरि कद् प्रात न्ती य {
विभिन्न व्यस्त वर्ग एं रपुदाय अन्न प्रतिमा बुधि, स्कृषि वौ शाने फ कापु
उस असर फा काम उडाफ पिकास का मार्यं गृहण कएवैर्ह। दमी प्रकर भि |
उपाग कै किपी स्थान पर उद्गम विकास से पल कै छिप मी वहां की प्राकृतिक व
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