कोटा जिला में मसूरिया उत्पादन | Kota Jila Me Masuriya Utpadan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कहा निना म मसुरथा उछान . 3 मुगढ़ साम्राज्य के उत्कर्षो काठ मैं साग्राट शातनहां को स्वीकृति पर, युगठाँ ई चीनस्य लव राजा' एननसिंठ के यारा सतू १६२४ में बे दितोय युध साथी सिंद | की बुन्दी पाज्य का सक़ माग बड़ग सै देकर की यर्थ । उदयम से छगाकर सत १६४प' मैं एकीकरण तक यत राज्य था दासत्व कै काठ मैं घन्मा चा घीवन मर दासत्व ही बढ़ा व एटा । समय समय पर यहां कै परम्परागत वण्निवंतौ वौष्ान एामयुः फ वंन द्रा राजत एना तै मूठ, मराठा व र्ना की अवोनता स्तोका कट अप्त यस्तित्य फा यत्य वात्र रखा । पुर सड़ाटाँ की विविध प्रकार सै सैवारी' के उपग्रषा में यहां के शासकों को १६२५ एवा व १७०३ ई माएाव पदः दी गमि आण तक चडढ़ी' वा एती' है । मार्धौसिंद थी, मसीमसिंद थी, पर्नशाठ णी, पाठ पौ» उम्मैदर्थिंह घो एवं वर्तमान मटाएव मोमसिंए थी प के प्रमुत्त एवं श्रियारोठ शार्करे । एस राज्य क टैतिारिक पवने ई स्तै मष्त्यपूणः घटना एनत मीः $ फौज्दार मूर्ती काला -एभपूत नामि ¦ ॥ सम्भन्य मैं है, जिसने फाबिदाए कै रूप मैं हो राज्य का सम्पूर्ण निर्वणा घौ छार्थी में है शिया गौर खत में रत पश८ मैं कौटा' रियासत का एक ठुकड्रा जौर कर माला के नाम सै और फाठावाड़ राज्य को स्थापता का कौटा -एज्य ~ धघराने के एस कंडक की एमेशा के डिये दूर किया गया 1 दासत्व ष स्वाभितान दा विपरीत गुण हैं । दासत्थ मैं घन्म रिया फुआ राज्य स्वतंत्रता के स्वप्न कठिनार्ब मै ही देख सकता है । एसीछ़िए लिंग प्रा यहाँ के शासक घुगठाँ, मराठी सं अ्ैगाँ को वाधोगता स्वीकार करी मैं पीछे नएं रं उसो प्रार्‌ स्वत्वा क वाद एकीकरण कर राष्ट्रमण्ति का परिचय दैनै मैं भी राजस्थान कै राणा मैं आुदा यो हैं । २४ सार्न, १६४८ कौ रायस्थान व. 1 बेड १८, १६४८ की युनाशटेड राजस्थान यूवियत के विमाणि मैं जुआ बनकर यां कै षाव नै परमस: राज प्रमुत व उपराण प्रपुस का' पद सुशीसित किया है| - ||; पराकषिष वं मानयौय परिस्थितियां :~ समानत्र परिस्थिततियाँ की उपन है ॥ परिस्थितियां मनुष्य को आर्थिक उन्नति कै क्षै चिरि कद्‌ प्रात न्ती य { विभिन्न व्यस्त वर्ग एं रपुदाय अन्न प्रतिमा बुधि, स्कृषि वौ शाने फ कापु उस असर फा काम उडाफ पिकास का मार्यं गृहण कएवैर्ह। दमी प्रकर भि | उपाग कै किपी स्थान पर उद्गम विकास से पल कै छिप मी वहां की प्राकृतिक व १ ~




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