सौ श्रेष्ठ बाल कहानियाँ | Sau Shreshtha Bal Kahaniya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कालोनी के सरकारी क्वाटर में रहता है. पूरी कालोनी में छ:-छ; क्वाटरो की दस लाने है ओ एक के बाद एक क्रम से. बनी हैं । क्‍्वाटरों की दो पंक्तियों के बीच काफी खाली जगह है जहाँ घरों की नालियां बहती है और कूड़ा फेंका जाता है. वर्षों से सफ़ाई नहीं होने के कारण व्रहाँ काफी झाड़-झंखाड़ भी उग आया है। लगभग दो घंटे बाद जब बंटी स्कूल के लिए तैयार होकर निकलने लगा तो उसकी मम्मी बोलीं, “बंटी बेटे ! याद है न आज. तुम्हारा जन्म दिन है ..”” हाँ मम्मी- ! भला यह भी. कोई भूलने की बात है ?”” बंटी ने कहा “ मैं तुमको इसलिए याद दिला रही हूँ कि आज भी शाम को स्कूल में खेलने मत लगना छुट्टी होते ही सीधे घर आना । शाम को तुम्हारे जन्म दिन के उत्सव की तैयारी करनी है और हाँ ! तुम चाहो तो अपने खास दोस्तों को भी शाम को बुला लेना ।”' ओ. के. मम्मी. .'” बंटी ने कहा और स्कूल चला गया। बंटी के स्कूल की छुट्टी शाम तीन बजे हो जाती है 1 अधिक से अधिक सदे तीन बजे तक उसे घर आ जाना चाहिए था लैंकिन धीरे-धीरे साढ़े चार बज गए और बंटी स्कूल से नहीं लौटा, उसकी मम्मी मम ही मन खूब गुस्सा हो रही थीं, कुछ देर बाद वह घर से निकलीं और गेट पर खड़ी होकर बंटी की प्रतीक्षा करने लगीं । लगभग दस मिनट बाद बंटी अपने तीन-चार दोस्तों के साथ आता दिखायी पड़ा। उसके हाथ में आम का एक छोटा पौधा था तथा उसके दोस्तों के हाथ में कंटीली झाड़ियों की टहनियां। उन्हे देखते ही बंटी की मम्मी का पारा गरम हो गया लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कहर्ती बटी बोल पड़ा “सॉरी मम्मी ! देर हो गयी मुझे...मैं जानता हूँ आप बहुत गुस्सा होंगी लेकिन मैं आप को एक सरप्राइज देना चाह था... ।”” “पह क्या लाए हो तुम ?”” बंटी की मम्मी ने पूछा । “अरे ! आप देखती नहीं ? यह नहा सा, प्यारा-सा आम का पौधा है... 1” बटी बोला | - “वह तो मैं देख रही हूं...लेक्िन इसे किसलिए लाए हो... 7”... “आज मेरा जन्म दिन है न मम्मी...अपने जन्म दिन पर मैं यह पौधा लगाऊंए, मैं इसी के लिए तो पिछवाड़े की तरफ जगह साफ करके कई दिनो से गडढा बना रहा था... ।”' | | . “इससे क्या फायदा ? तुमको हमेशा फालतू काम ही सूता है ?'! “फालतू नहीं मम्मी यह तो बहुत जरूरी काम है...हम सभी दोस्तों में तप किया है कि अपने-अपने जन्मदिन पर हम सभी एक-एक फलदार पौधा लगायेंगे ताकि यह सूनी सी कालोनी हरियाली से भर उठे और फलों के मौसम में सभी को मीठे-मीठे फल भी खाने को मिलें...'' बंटी ने कहा। “अरे बुद्धू | देखते नहीं, यह आम का पौधा है...पूरे पांच साल के बाद फल देता है यह...तब तक तो हम लोग न जाने कहां रहेंगे...ट्रान्सफर वाली नौकरी का क्या भरोसा कि कब कहां रहें... तुम इसका फल खाने के लिए पांच साल तक यहीं बैठे रहोगे क्या ? मम्मी बोलीं । “अच्छा यह बताइए मम्मी । हम लोग आम. अमरूद सेव सन्तरे आदि जितने 17




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