कबीर विषयक आलोचनाओं का तुलनात्मक मूल्यांकन | Kabeer Vishayak Alochanatmak Ka Tulnatmak Mulyankan

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Kabeer Vishayak Alochanatmak Ka Tulnatmak Mulyankan by डॉ विजय शंकर - Dr. Vijay Shankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राजनैतिक परिस्थिति पन्द्रहवीं सदी के जिस राजनीतिक परिवेश में कबीर का जन्म हुआ था। राज सत्ता शासक की व्यक्तिगत शक्ति... और योग्यता पर निर्भर थी। नियम ओर संविधान जेसी कोई चीज नही थी। कोई भी महत्वाकांक्षी सरदार अपनी शक्ति के बल पर राज्य कायम कर सकता था। जैसा कि इतिहास के अघ्ययन से ज्ञात ढोता है कि मुसलमानों में सुल्तान होने के लिए अभिजात्य आवश्यक नदी था। जबकि इसके विरूद्ध डिन्दु राजाओं मे यह भावना प्रवल विद्यमान थी | अर्थात जो जन्म से ही उच्च कुल में उत्पन्न हुआ है वही सर्वोच्च सत्ता पाने का हकदार है । यही भावना आगे चलकर समाज को वर्गों में खण्डित करने में अहम भूमिका निभाई थी। इतना दही नटीं सामान्य जनता में राजनीतिक चेतना का अभाव सा था। राज सत्ता के परिवर्तन से उसकी आर्थिक सामाजिक स्थिति में कोई मौलिक परिवर्तन संभव नही था । इसलिए वढ प्रायः उदासीन रहती थी । प्रजा के आर्थिक उन्नति के लिए शासको की ओर से कोई प्रयत्न नहीं किया जाता था। जैसा कि ज्ञात हो गया था कि शासन के मुख्यतः दो डी कार्य थे। शांति कायम रखना और राजस्व वसूल करना। इसीलिए शासकों को जनता का समर्थन नर्डी मिल पाया था। मुसलमानों को अभी तक विदेशी ही समझा जाता था । राजपूत ओर हिन्दु सामन्त उन्हें बराबर चुनौती देते रहते थे। निरन्तर जिससे युद्ध का वातावरण बना रहता था।




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