पत्थर की आँख | Patthar Ki Aankh

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Patthar Ki Aankh by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तरव में चोट लगने की वजह से उनकी दोनों आँखे खराब हो गई है द दाम के वक्त किरती छोड़ दी गयी । नाव में बाहर. खड़े हो कर , एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए गुलशाद और जमील सफेद मोटर-बोट को गौर से देख रहे थे। उस वक्त वहाँ से नारी कंठ की अपूर्वं संगीत-लहरी आ रही थी । जिन्दगी की चट्टान पर खड़ी हो कर बह मौत से लड़ रही थी ! 4 +£ २९१




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