प्रमेयकण्ठिका | Prameyakanthika
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
70
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री शान्ति वर्णी - Shri Shanti Varni
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४ प्रमेयकण्डठिका
ज्ञान कराती हैं । इस प्रकार पदार्थका सम्पर्क होनेसे पहले इन्द्रियोंका
विपयाकार होना इन्द्रियवृत्ति है । वही प्रमाण है । योगदर्दान-व्यासभाष्य
में लिखा है--
“इन्द्रियप्र णालिकया.. बाह्मवस्टूपरागात. सामात्यविदोषात्मनोप्थस्थ
विश्ेषावधारणम्रधाना वृत्तिः प्रव्यक्षम् 1 --योगद० व्यासभा० पु० २७
इन्द्रियवृत्तिदी प्रक्रियके दिषयमें साख्यप्रवचनमाष्यकारने
लिखा है--
“अत्रेयं प्रकरिया--इच्ियप्रणालिकया अर्थंसन्निकर्षण लिंगज्ञानादिना
वा जादौ बुद्ध : अर्थाकारा वृत्तिः जायते ।” --सांख्यप्र° भा० प° ४७
इन्दरियदृत्तिकी समीक्षा
बौद्ध, जन तथा नैयायिक ताक्रिकोने साख्योंका खण्डन किया है।
बौद्ध ताकिक दिड्नरगने प्रमाणसमुच्चय (१. २७) में, नैयायिक उद्योत-
करने न्यायवातिक (पु० ४३) में, जयन्तभटरने न्यायमंजरी ( प
१०९ ) मेँ तथा जेन ताक्रिक अकरकने स्यायविनिक्चय (१. १६५ }
मे, विद्यानन्दने तत्त्वार्थश्टोकवात्िक ( पु० १८७ ) मे, प्रभाचन्द्रने
स्यायकुमुदचन्द्र ( पृ० ४०-४१ } ओर प्रमेयकमलमार्तण्ड ( पु० १९ } में
देवसूरिने स्याद्रादरत्नाकर (पुण ७२) में, तथा हैमचन्द्रने प्रमाण-
मीमांसा (पृ० २४) में इन्द्रियवृत्तिका विस्तारसे निर्म क्रियारहं।
जिसका संक्षिप्त सार यह है-
१. इन्द्रियवृत्ति अचेतन ह, इसलिए वहु पदार्थको जाननेमें साधक-
तम नहीं हो सकती ।
२. इन्द्रियोंका पदार्थके आकार होना प्रतीतिविरुद्ध हैं। जैसे दर्पण
पदार्थके आकारको अपनेमे घारण करता है वैसे श्रोत्र आदि इन्द्रियां
पदार्थके आकारकों अपनेमें धारण करती नहीं देखी जाती 1
हे. इन्द्रियवृत्ति यदि इन्द्रियोंसे भिन्न है तो उसका इन्द्रियोंसे संबंध
User Reviews
No Reviews | Add Yours...