चिकित्सा - चन्द्रोदय भाग 6 | Chikitsa Chandodaya Vol - 6
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.52 MB
कुल पष्ठ :
432
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खाँसीके निदान लक्षण । छ
“चरक” में लिखा है, गले श्र मुँहमें कॉरे-से भरे रहते हैं। कंठ
में खाज झाती है झौर कंठ सूखनेकी वजहसे खाया हुआ अन्न झटक
जाता है ।
खुश्रुत कहते हैं, कंठमें खाज चलती है, भोजन कुछ-ऊुछ रुकता
है, गले और तालू लिपे हुएसे रहते हैं, श्ावाज़ भारी और सरभराई
'.सी हो जाती है, भोजनपर झरुचि और थम्नि मन्द दो जाती है ।
९/ #+ #+ हज
खासाका [किस्म ।
चरक, खुश्रुत और वाग्भट्ट प्रद्धति सभी झाचायोंने पाँच प्रकार
की खाँसी लिखी हैं, केवल दारीत मुनिने श्ञाठ प्रकारकी लिखी हैं ।
“वरक” में लिखा है--
वातादिस्य्रयोये च क्ततजः क्षायजस्तथा |
पन््चेतेस्युनशां कासावर्धमानाः क्षयप्रदर ॥
चातज, पित्तज़, कफज, क्षतज श्रौर क्षयजके भेद्से मनुष्यकों
पाँच तरहकी खाँसियाँ होती हैं । इन पाँचोंमें से पहलीसे दूसरी
-उत्तरोत्तर प्रबल होती हैं. और क्रमसे बढ़कर शरीरका क्षय करती
हैं । मतलब यह कि खाँसी पाँच तरहकी होती हैं:--
(१) चातज।... (२) पित्तज ।
(३) कफज |... (४) चातज |
(५) च्यज ।
नोट--हारीतने सन्निपातन, वातफित्तन श्लौर कफ-पित्तज ये तीन श्रधिक
रलिखी हैं; पर इन तीरनोंके लक्षण चयन काससे मिलते हैं; इसी से श्र वेदयोंने ये
स्तीन नहीं लिखी हैं
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