वीर अर्जुन | Veer Arjun

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Veer Arjun by बिहारीलाल - Biharilal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ और भारत में झमेरिकनों के प्रति अर भी बुरा व्यवहार हो तो श्रपने देश में भी देसी ही दशा के रहते हुए मी श्रमेरिकन झपनी सैनिक शक्ति द्वारा चीन श्रयवा भारत को उचित ग्यवहार के लिए विवश करगे | भारत दचिख श्फ़ोका के विदद्ध पेसी कारर्व ई नहीं कर सकता था | झतराष्ट्र व चुत्र म भारत का दूसरा काय फ्लिस्तान को लेकर था । मिनर'ष्टू सच का अर से नियुक्त सात राष्ट्रों की समिति में भारत भी एक सदस्य था । पाच सदस्यों ने बटवारे की सलाइ दो, भारत श्रौर चेकोत्लोवाकिया ने मारत के केबिनट मिशन प्लेन. की तर एक दीले केन्द्रीय शासन का प्रस्ताव किया । यहा तक तो गनीमत थी क्यों कि इस प्रकार भारत ने सयुस्तता” के प्रति झपनी आस्था ० प्रकट की । पर तु मित्र जि रास में प्रश्न बह था कि चटवारा € ॐ कर यहूदियों के भरधिकारो की दुरचाकी भारत के विरूढ एक अन्तरष्टरीय षडयंत्र ५९०१. * आर्चय तो बह हे कि यह नहीं” भी [ भी जगदौशचन्द्र अरोडा ] उमी नेत्रवू द से झाया था निने झखिल मारतीय कप्रस महातमा वे ३ नुत श्६४७ के पाकिस्तानी प्रस्ताव पर 'ह” कहा था । सघ में फिलस्नन की समस्या को लेकर चटवारे का विरोध कर भारत ने न बुद्धमता का 2र न राअनीतिशता का ही परिचय दिया हे । फ्ल्िस्तीन की समस्या श श्र दी धन्तरर््राय मड़े को था जना चाहता हे | षच ता यह हैं कि फ्खस्तीन न केवल शरवों झोर यहूदियां झयवा झप्र रच रूप से भ्रमेरिकन। भर रूसियों 3 युद्ध का कैन्द्रत्यल बन गया है बर सार के भविष्य का निर्माता भी । भाव मदायुद्ध केक्ल राजनीतिक मतसेद प ही नदी वरन्‌ धार्मि$ मिसि पर भ लङा जायगा | दो सगटठिन बमं वमाष- विस्व शान्ति की श्ाक में भन्तराष्ट्रीय सब व द षपू वाताबरख के उत्तरदायी राजनं तिनो की असेग्बली का एक रय राष्ट्र नीति रा काप्राण हि ापपपणण पर । श्रथ (अ युग में लेखक की घारण। है कि भारत की अन्तर्गष्टय नीति का श्र चार शाज भी करक यायं व वावन होकर प्रवास्तविक दै तमी बढ एक शोर मारत का ग व क १ कर १५ विमाजन स्वीकार करता दे झर दूसरी झोर पिलस्तीन के विभालन का | हन श्रपनी राष्ट्रीय श्वतश्रता को श्रविक विरघ | लेखक की यह मी घरशा है कि भावी स्वप्र का श्राधार देर तक कायम रख सकता है । इसमें मौतिक स्वाथ के साथ घम भी होगा, इसलिए लहा आज इमें तनिक भी सदेह नही कि किली मी देश आपने पश्चिम में उठने वाले मदान्‌ शक्तिशाली मुस्लिम राष्टर की च्रइ नीति पर ही अस्तर्राष्ट्रीय चेत्र में छष के परति कतकं रहना होगा, वहा श्रपने राट मे राष्टयता उनके मान अपमान और प्रमाव का ब मानता के सान्कृति य मौतिक स्तर को भी इतना ब्यरोमदार है जेसा कि ददिश भफीका ऊ चा करना होगा कि विश्व की मददान्‌ शाक्तया के मामकषे में इसने कनुमव किया । श्रपने सयव मारत के विरूद्ध वद पढ़यत्र न मिषया् संघ कौ बेड़क में मखे दी कर सकें, थो लाज मित्र ख्व में हमने भमतौ विनभल्टमी ण्डित के किया था रहा दे । भावुकता 4० प प्रभुत्व के विक्डधस्वातभ्य आन्दलनशा दर करते हुए दलिश श्रफ्रीका के विरुद्ध ऋफीका के विरूद्ध प्रस्ताव स्वीकृत करा मन क भरत उलव सदर पक उसको ईसाई श्रौर मुखलमान (विशेषकर झरव शिवा परन्तु इम उसे शयान्वित न का क प्रिवमाबन था । छोटे राज्यों ने इसी. था थ तुर त प्रकाशददीन हो गया । वमप दी मः खकके | बडे रामे रेक लोविख्यस्स का 7 मत का च [वा 1 अ दूरा शार रिक रख लेनिक दे श्रल्परस्यक प्राचीन धमो को मिय बे हमारा पद्ध लिया था, सयुक्तराज्य कुचौ नदे राष्ट्रों के दाथ में थी, -न्डोने में मारत की श्रयोण्यता थी। यदि चीन परदे बेठेह। अमेरिका, बटन और फाल ने इमाय (रूल के झतिरिक्त) मौखिक आअबका -- -- न लिरोभ किया था । आर्थिक दोनों सहयोग नहीं दिये । इसके दो प्रमुख कार है, एक झआस्मिक दूसरा स्वतन्त्र मारत की परराहनीति फर शारीरिक दर कामाशोचना करते समय सबप्रथम मैने उपयु क्क घटना का इस लिए जिक्र किक हे कि इसी प्रश्न को लेकर सनसे पदले स्ववन्त्र मारत ने ज्ञन्तर्ा्ट्रीय सत्र में जवेश किवा था। मारत को मौखिक विय प्राप्त इदे श्रोर मारव पूलानाी खमादा परन्तु इस विनय के पीछे पक चरालय छिपी थी । भारत अपने पद में किमि गये निव को कार्यान्वित नहीं कश ठक | जपने प्रायीन इविह्टत, ्र्मिकता, ऋदशंकदौ विकराः बष्ठंनो तथा विशेषकर महात्मा माथी का बन्मत्थाव होने के कारण तखर की अनला पर वारत का एक शास्मिक अजुत्य- आना पडि में फरिचिम के श्वेठ सयुक्तताण्य अमेरिका ने झपने ध्परभातन््रात्मक छिद्धा तों का सबसे अधिक प्रचार किया दे । संसार मरको इस खमयं वह श्रय तथा खाया की लहदायता दे रहा हे। परन्तु तो भी खापान्ष थनता पर उसका तनिक भी पमाव नहीं उठकी 'डिमोक ही” के शब्दजाल में काई नहीं फतता क्योकि खव आनते ह कि स्वय अमेरिका के झपने घर में टेट करोड़ काले अमेरिकनों के लय श्वेत अमेरिकन पञ्चशत्‌ ब्पक्सर करते हैं। इस कजिक सुन में मी श्ात्मिक शोर आरित्रिक कल का बढ़ा चन्द बढ़त दे। स्वदेश में ६ करोक जहूतो के सव पदुवत्‌ ब्वक- जै विण श मित्ररा्ट्रीय सुरक्का समिति में भारत ब प किस्तान के प्रति १)




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