सेक्युलरवाद | Sekyularavad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पेवयूल रवादं यह बात ध्यान में रखनो चाहिये कि जनता गांधी नहीं वन सकतौ । सब्र ्रादमो महात्मा गाधो वन जाये, तो तेक्यूलरवाद निभाने में कोई कठिनाई नहीं हो सकतो । महात्मा गांधी श्रपने मजहव को पूर्ण रूप से मानते थे । साथ हो दूसरे सब मजहबों का श्रादर करते थे । सेब धर्मानुयायियों का श्रादर करते थे । सबसे श्राद्भाव रखते थे । यह सही है । लेकिन जनता पहात्मा नहीं बन सकती । करोड़ों में एक हाला मिल सक्ता है । इसलिये सेव्धूलरवाद को स्थापित करने के लिये, हमें मजहबों क्षेत्र को सीमित करना होगा । दूसरे शब्दो मे यह कह सकते हैं कि हमें नेटल्वाद पर बल देना चाहिये । हमें. नेहरू टाइप सेवयुलरवाद चाहिये । नेहरू टाइप नागरिक पेदा करने चा हये । यदि प्रचार करें श्रौर प्रयतन करे, कोशिश करे वो ऐसा हो सकता है। यह मान कर नहीं चलना चाहिये कि यह श्रसम्भव है । भसम्भव तो यह है कि हम धार्मिक रीति रिवाजों का प्रदर्शन करें श्रौर पहु सोचें कि इसको उल्टो प्रतिक्रिया नहों होगो 1 श्राज से तीन सौ बरस पहले योरप में यह स्वीकार कर लिया गया था कि सरकार का कोई मजहव नहीं है । इस मान्यता को थोड़ा भ्रौर रिस्वृत क्रिया जाय श्रौर यह्‌ स्वोकार कर लिया जाय कि सरफार के सदस्यों का क़ोई मजहव नहीं । जो व्यक्ति सिनिर्टर दत, राष्टृपति यने, वह यह्‌ षपथ ले कि वह्‌ रोति रिवाजों वाने मजहर को नही मानेगा शरीर इस बात को भी नहीं मानेगा कि मानव त्था मभ्न्व समाज के कार्यों में कोई देवो हस्तक्ष प होता है! नेहरू के विचार ऐसे हो तो थे । वे ग्रादर्श सेक्सुलरवादी थे । किसी महजद को नहीं मानते थे घर न ही सानव तथा मानव समाज के कार्यों में किसी मा ऊ चो शक्ति का हस्तक्षेप मानते थे । सेविन यह दात भो उनमें थी षे क्रिसी मजहूब फो काट भो नहीं करते दे 1 घरक्ार ढे इरस्यो > + या




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