जनमांग - नक्षत्र - दीपिका भाग - 1 | Janmang - Nakshatra - Deepika Bhag-1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७
}. मेष विनी कि ;, - कत्तिका .९, चरण
५ वृषभे ,छत्तिका ३ च० ,.. रोहिणी + प्रगशिसि २ चः,
३. मिथुन; मृगशिरा? -- आदर „ पुनर्वसु २५
८..ककं ~, पुनर्वखु १... पुष्यः --., -आष्टेषा ;
१. सिंह मघा पूवफाल्युनी-.. उत्ता. फाल्गुनी .९,
६. केल्या उत्तरा ल्गुनी रे दस्त चित्रा २
9. ठला - चित्रा २ ; स्वाती विशाखा, .रे
८. वृश्चिक विशाखा १ ,„ श्रनुराधुा , „ ,-ख्वे्ा,.,,
- ६; घन , मूल , . पूवापादा , - ' उत्तराषादा १
,०, मकर . उत्तराषाढा ३ , , ,श्रव्ण , धनिष्ठा २८ ;
१, कुंभ धनिष्ठा , - , शतभिषा, पूोभद्रपदा,३ ;
१२. मीन पू्वासाद्रपदा उत्तरामाद्रपदा.. रेवती, ,
१ नक्षत्रमण्डलं विचार ` `
। 7 ^ १, १,
पीछे कहां जा तुका, है कि, समस्त नन्र्पण्डल .मगवान् ) विष्णु का
स्वरूप है 1, इसीका « दूसरा नाम शिशुमास्चक्रः भी है। इस चक्र का
वर्णन “विष्णुपुराण.. के .दिपीय: अश भ ¡ सविस्तारं किया गया दे ।
नचो के स्वानी नवग्रह और, उनके २ विभागो से ६२ राशियो'का
निर्माण भी -दिखाया; जा चुका. है ` श्रच इन्दी १२;'राशियो के माध्यम
से नक्घ्ौ का ६० सवत्सरो तक व्रगीकस्ण घताया जा रहा,है। `
, “ध्यान रहे कि इन, 'नवग्रहो में सूर्य हो मुख्य है । वहीं वास्तविक
ज्योति है शरोर उसीके प्रकाश से सारा विश्व प्रकाशित है | श्रतः नक्षत्रों
के वर्गीकरण मे.भी इसका महत्वपूण हाथ दै । उपर्युक्त शिशमास्वक्र की
जिस दिशा मे सूर्यं भगवान् उदित होते है उसे पूर्व और जिस दिशा मैं
प्रस्त ,होते हैं. उसे -पश्चिम, कहते हैं । इसके, दाहिने * दक्षिण . और बॉयें
उत्तर दिशा समभनी, चाहिये ।
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