पद्म - पराग १ | Padm- Parag 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
500
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पद्मसिंह शर्मा - Padmsingh Sharma
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पारस नाथ सिंह - Paras Nath Singh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पद्य-परागवी जीवनी
न द
` केल-संगरह--पद्य-परागः-के प्रकाशित होनेकी चर्चा बहुदः
दिनोंसे चछ रही थी ! अनेकं साहिय-्रेमिरयोका अनुरोध था,
अनुरोध करनेवालोंमें सब श्र णिके सज्जन थे, गुरुजन, सुहृत्समु-
दाय) सहृदय समालोचना-परेमी, अपने पराये-घरके वाहरके--जिसेः
कोई लेख किसी कारणसे पसन्द आ गया, सममा एेसेदी चोर भी
होंगे, वस वह इसी आशासे अनुरोध करने छगे; लेखो के कुछ ऐसे
प्रेमी भी थे; जो बराबर देखते आ रहे थे-कोई लेख कहीं किसी पत्रमें
छपा, उन्हों ने हू'ढ-भाठकर ज़रूर पढ़ा; उनका तक़ाज़ा बहुत तेज़
था--वह् तरह तरहते दिर बहते ओर उकसाते धे । अफ़सोस दै
उनमेंसे कई आज न रहे, उनके जीवनमें यह लेख-संप्रह न छप
सका; वह इसे अपनी माँखोंसे प्रकाशित न देख सके ! यह्द बात.
जव याद् आती दै, दिरपर एक चोटसी छगती दै--स्वगीय पण्डितः
भीमसेनजी शर्मा; पणिडत राधाकृष्ण का ( एम०ए० ) और पाण्डेय,
जगत्नाथप्रसाद( एम० ए० ) आदि कै मित्रोकी यादने इस वक्त
तड्पा दिया ।
संवत् १९७५ व्रि मे काशीकै ज्ञान-मर्डल्मे “विहारीकी
सतरर्हण्का भूमिका-माग पहली वार अभी छपदी. रदा था कि
. लेख-संप्रहका सवाठ सामने आाया--यार दोस्तेनि याद् दिखाया कि
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