अवधी कहावतें | Avadhi Kahavaten

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Avadhi Kahavaten by इन्द्रप्रकाश पाण्डेय - Indraprakash Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ +^ सहायक मिद्ध शाता है। अभी हाल ही मे गालियां पर एक धीति स्वीकृत हा चुकी ह । पाएचात्य देशा म॒ 12285 कैः काश बनाये गये हैँ यही जपे बन्वर कहावता की मापा एवं रचनाशली पर मी विचार फिया जा सकता हूं 1 प्राय कहावत वड़ो ठो चुस्त ओर प्रमावकासे मापा महातो हैं। समिप्तता नौर साकतिकता उनका प्रमुख गुण होता है। पहावत की मापा मे गठन और निश्चितता हाती है । जहा छ द के रूप म प्रस्तुत नहीं वो नाता, वहा भी उसकी मापा मे काव्यात्मक गति एवं तीव्रता हवाती है । उनम अलकारयाका समुचित प्रयोग किया जाता है । भाषा सम्ब वी चमत्कार भी प्राय देखने मं आते हैं। एक हो क्रिया से चारनवार क्त्ताओ का समाघान दिया जाता है। रूपवा और उपभाणा का प्रयाग होता हो रहता है। लुक और छन्द वा. नावरण भी प्राय मिल ही जाता हू। वहात्रत कथोपकयन वे रूप मे भी मिनती है। इन सभी विशेषताआ के उदाहरण प्रस्तुत संकलन म मिल जाएँगे । इपालिय अनेव गहावतो का यथावत्‌ साहित्यिक हृनिया म सम्मान का स्थान मिल जाता है और अनेक साहित्यिक सूक्तिया का प्रयाग कहावतों के रूप में हाने लगता है । तुलसी दास जी ननेक पक्तियां का प्रयोग वहावता के रूप म होता है । मैंने प्रस्तुत संकलन मे पुलसीदाम जी वी कुछ ही चोपाइयों के उदाहरण दिये है जबदि हजारो ऐसी सूत्तिया का प्रयोग प्रामाण समाज मे कहावता मे रूप में होता है । यहीं कहावता सा साहित्यिक पक्ष हैं जिस पर विश्तार से विचार करने की कावश्यवता है । नाम जौर गुण विपमय मम्बु-धी कंहावता कौ अधिकता ने मरा ध्यान विशेष रूप सा ध्षीचा दै जिपरी ओर मैं यहाँ सवेत कणा चाहता हूं । नाम श्यामसुदर मुह पूदरि अस, नाम पृय्वोषाल मुर्‌ विष्व मरि नाही , “नास पूल सिह गाडि चैना अलि , नाम सुगघा पारँ का बिंखु” । सस्कत में पापद वाली कहानी भा इसी तथ्य की ओर संकेत करतो है जिसम इस दिपयेंय का समाघान दिया गया है। परन्तु मुक्ते ऐसा प्रतीत होता है कि जाज तक कसी वा समाधान नहीं हुआ 1 बाज मी 'ययानाम राधा गुण * की अपेसा करते ओर उनको अपक्षा पूर्ण नहीं होती तो निराश हामर इस प्रकार दो बहावत का प्रयोग करते हैं । नाम के भ्र सार गुण ना होना असमव है फिर भी मानव स्वभाव उसी को अपना करता है। दूसरे बी अलोचना भौर निन्दा करने का यह्‌ बदा सरल साधत है। हम क्षणमर मे किसी को मी इस कहावत से घराशायी कर सकते हैं । हमारे स्वभाव मे घढ़ाऊदुरी वी मावना बडी प्रवल होतो ह परन्तु सथं करने की सक्ति उसो माया में पही होती बत शीघ्र विजय प्राप्त करने या यह नच्छा तरीका है। चह अपन सामानुप्ार गुणों ते होने के हारण हमारी नाझना सहे ।




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