कोई शिकायत नहीं | Koi Shikayat Nahi

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Koi Shikayat Nahi by कृष्णा हठी सिंग - Krishna Hathi Singसरोजिनी नायडू - Sarojini Naidu

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कृष्णा हठी सिंग - Krishna Hathi Sing

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सरोजिनी नायडू - Sarojini Naidu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५ को यह्‌ खयाल नही था किं पहले ही हत्ले मे वकिग कमेटी के मेम्बरो के श्रलावां श्नौर लोगो को भी भिरप्तार किया जायगा, पर हम गलती प्र थे} भ्रव राजा ने भी अपना सामान ठीक किया भौर वहुत जल्द वे दोनो जाने के लिए तैयार हो गए। हमने उन्हे विदा किया और पुलिस श्रफसर श्रपने पहरे मे उन्हे उनकी गाडियो तक ले गये । जवाहर को किसी ना-मालूम जगहले जाया जा रहा था भौर राजा को यरवदा सेटल जेल पूना मे। हमने उन दोनो को नमस्कार किया भौर सब यह सोचते हुए वापस लौटे कि न मालूम इस बार भविष्य में हम सवकी किस्मत मे क्या लिखा है 1 उस वक्त हमारे यहा वहत से मेहमान आये हुए थे और उनसे सारा घर भरा हुझा था । उनमे से सिफं दो श्रादमी ही गये थे, पर श्रव घर की हर चीज बदली हुई मालूम होती थी । अब किसी चीज की कमी हो गई थी श्रौर कोई ऐसी चीज चली गई थी, जिसके कारण पहले घरभर मे जान थी भ्रौर भ्रव वही धर सूना मालूम हो रहा था । कई दिनो से हमारे घर श्राने जानेवालो का ताता वधा ह्र था श्नौर श्रव उनकी सख्या श्रीर भी बढ गई । दोस्त, रिश्तेदार झर अखबारों के रिपोटैर हमारे घर के चक्कर काटने लगे! वे इन गिरप्तारियो की तफसील मालूम करना चाहते थे । फिर भी हमें वे ही याद झा रहे थे, जो हमसे दूर चले गए थें, झर हमारे मन में हर वक्‍त उन्हीका खयाल बना रहता था । बिलकुल ऐसी ही वात कई बार हो चुकी थी, पर फिर भी कोई इस बात का झम्यस्त न हो पाया था। हर वार जब ऐसा होता तो कुद परेशानी श्रौर थोडा अकेलापन मालूम होने लगता था । >< >< >< भ्रव साल भर से मेरे प्यारे भ्रौरं श्रजीज मुमसै दुर जेल की भयानक दीवारे भ्रौर लोहे की 'शलाखो के पी वद थे । उन्हे देखना भी मना था । हालाकि उनकी मै रहाजिरी मेरे जीवन भे वहुत्त बडी कमी पदा करती है, परतु मुमेन तो मायूस करती दै ग्रौर न मेरे कदम उससे डगमगाते है! मुभे पुरा यकीन है किजिसमक- सद के लिए“उन्हे जेल मे डाल दिया गया है वह सच्चा और सही है भ्रौर इसलिए यह अभिवाय॑ है कि वे उसके लिए तकलीफे उठाए । एक साल किसो इन्सान की जिंदगी में कोई वडी लवी मुद्दत नही हे श्ौर पुरी कौमकी जिदगी मे तो यह्‌ मुहूत कुछ भी हकीकत नही रखती । पर्‌ कभी-कभी




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