भक्त - नारी | Bhakt Naree
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शवसी ११
डए गम्भीर खरसे कहा कि शरावरी ! कया दू नाचती ही रहेगी ?
देख ! श्रीराम कितनी देरसे खड़े हैं. ? क्या इनको बैठाकर च
इनका आतिथ्य नी करेगी १ इन दाव्दोंसे शबरीकों चेत हुआ
ओर उस-
तौ दृष्टा ठ वदा सिद्धा समुत्थाय कृताञ्जलिः 1
पादौ जग्राह रामस्य लक्ष्मणस्य च धीमतः ॥
पाद्यमाचमनीयं ख सर्वं पादायथाविधि।
तसुचाच ततो समः श्रमणीं धर्मसंखिताम् ॥
८ वा० रा० श्रा० का० स० ७४)
धर्मपरायणा तापसी सिद्धा सेन्यासिनीने धीमान् श्रीराम-
उक्ष्मणको देखकर उनके चरणोमे हाथ जोड़कर प्रणाम किया
और पाय आचमन आदिसे उनका पूजन किया । ं
सादर जल ले चरण पारी \
आति सुन्दर आसन बेठारी ॥
भगवान् श्रीराम उस धर्मनिरता शवरीसे पूछने ख्गे-
कच्चित्ते निर्जिता विधवाः कच्चित्ते वर्धते तपः।
कच्चित्ते नियतः कोप आहारश्च तपोधने ॥
कञिन्ते नियमाः भ्राप्ताः कञ्चित मनसः खसम् ।
कच्चित्ते शुश्रूषा सफला चारुभाषिणी |
(बा रा० श्रा सण ७४)
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