श्रीमद्भगवदगीता | shreemadbhagvadgeeta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
582
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५
अध्याय ५ [४३
अस्माकं ठ विशिष्ट ये तान्निबोध द्विजोत्तम ।
नायका मम सैन्यस्य संज्ञां तान्नवीमि ते ॥ ७ ॥
(३)
भा. ए-वलवान काशीराज कन्तीमोज हैःपुरजित-तथा ।
त्यों चेकितान प्रसिद्ध है भटशेव्यके बलकी कथा॥१॥
हें उत्तमौजा च्रोजशाली -विक्रमी;युधपन्यु -भी ।
त्यो द्रौपदेय महारथी नरसिह वह अभिमन्यु मी ॥६॥
(४) .
देखो खड़े हूं द्रोपदी के पुत्र पांचों भी यहाँ ।
जितने प्रसिद्ध महारथी हूं समरहित, संस्थित यहां ॥ द॥
द्विजश्रष्ठ सुनिय ध्यान दे निज.झोर जो वलधाम है।
उन सुख्य सेना नायकों के ये प्रसिद्ध खुनाम है ॥ ७॥
अर्थ--धूषटकेत, चेकितान तथा वललवान कं1रिराज) पुर जित,
कुन्तीमोज और .मतुष्यों में श्रेष्ठ -कषेव्य । ५। और पराक्रमी युघामन्यु
तथा वल्नवान उत्तमौजा, सुमद्रापुत्र भ्रभिमन्यु ओर द्रौपदीःके। पांचो पुतः
. यह सब ही मदारथी दहै । ६) हे व्राह्मण श्रेष्ठ ! हमारे” पंत्त 'में: भी
जो प्रधान हैं उन को आप समकलीजिये ।' आप के जानने कं लिये “मेरी
सेना के जो जो सेनापति हैं उन को कहता हूं । ७ । `
साघाथ-मददाराज इन योधा के अतिरिक्त घटोत्कच श्रादि
दधार भी श्रनेक. यलवान योधा. उपीस्थत दै. 1- पारडर्वो-का नाम लेने
की तो श्ावश्यकता ही नहीं; क्योंकि चह तो. लेंलोक प्रसिद्ध हैं ४
_ झौर ये प्तो नेः ऐसे -योधाओं के नाम गिनाये हैं जो. म्येक” अकेला दी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...