अमृत की प्राप्ति | Amrat Kalpvraksh Aur Paras Ki Prapti

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Book Image : अमृत की प्राप्ति  - Amrat Kalpvraksh Aur Paras Ki Prapti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ } लाते र शरीर लाम उठते ह 1 व दुनियां मे दलतमन्दों की कमी गह्दीं है । ऐसे लोग व भी भारी संख्या में मौजूद जिनके पास एक विशेष प्रकार का पारस पत्थर मौजूद दै श्रोर ठस द्वारा चे ही नेंमवशाली, सुखी, सन्तु्ट तथा प्रस्त्र हैं सैषा कि लोहे ो सोना पनाने थाले पारस फे पास में दाने पर कोई छोता । ८ पारस क्या ऐ ? यदद है-प्रेम । एक काला क्लूटा च्यादमी जिसे आप पूर्णतया कुरूप. गंदार या 'मसभ्य कष सकते है दापनी लो फे लिए कामव सा रूपवान घोर इन्द्र के सनान भानस्यवान द । जैसे शची श्रपने इन्द्र फो पाकर प्रसन्न है नसकी मेवा करती रै श्रीर्‌ पने को सोभाग्यशालिनी मानती है सेसे ही एफ भीलनीं अपने अधेनग्न और धघनद्दीन भील को पाफर प्रसन्न है | विचार कीजिए कि इसका कारण कया है लो 'प्रादूगी सब फो कुलूप तरर गन्दा लगता है वद्‌ एफ स फो इतना प्रिय क्यों लगता रै ? इसका कारण द-प्रेम।प्रम एका प्रकार का प्रकाशा है, श्र थियारी रात में झाप पनों वेटरी न दत्तो सै किसी चस्तु पर रोशनी फकं तो ष लम्तु स्ट रूप से चमकने लगेगी। जप कि पास में पड़ी हुई दूसर। घच्छी रारदी चीजे भी अंधयारी के कारण फाली कलूटो भरोर भी दीन दो मारूप पड़ेगी, तब बढ दर दस्तुलो चाहे च्सीया सदी सयों न हो चेटरी जा फररा पएने के कारण चष्ट नभा व्टयकररागे टोगो सपने रद खूर का भज्ा प्रशशन कर रहे ऐसी, रंगों प सँग रही दोयी 1 पेम में ऐसा ही प्रकाश हे । जिस दिपी से भी प्रेस किया पारा डे पी सुन्दर, गुण ररी, लामरायरु, मना, पहुमूल्य, सनन्पादन सादर पढ़ने लगता ऐ। सादा फा दिल जानता है फि उ्तका पाकं कितना सुन्दर




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