सम्बत २००० और भावी महाभारत | Sambat Do Hajar And Bhavi Mahabharat

Sambat Do Hajar And Bhavi Mahabharat by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नये युग का सूत्रपात | [ १३ पर हुकूमत थी । तरह-तरह से इन लोगों के पेट भरने को ही लोग धर्म समसते थ्ाये है। यही सबव है कि धर्म के नाम पर भी हमेशा से कगडे होते रहे है । अगर दुनिया मे सच्चा धर्म होता तो उससे मसचुष्यों को सिवाय सुख के दुख मिलदी कैसे सकता था । अब लोग श्रच्छी तरह ममम गये है और सब देशों में थसे का पेशा करने वाले लोगो का जोर बडी तेजी से घट रहा है । न्ये युग मे इस पेश का बिल्कुल खात्मा हो जाना पकी वात है, ब्ौर ऐसा हो जाने के चाद ही शायद दसको उस धर्म के दशन हो सकेरो जिसका ताल्लुक मनुष्य के दिल 'ओर आत्मा मटोगान क्रि बाहरी डोगो से । इन तमाम लक्षणों और चिन्हों को वेख कर सव श्रेणियों के समकदार लोग इसी नतीजे पर पहुंचते है कि अब युग के वदलने का समय नजदीक आ पटुचा है। इस लिये जद्दीं जाहिल या अनसमभक लोग इन चिन्हों को देग्बकर डरने या चौकते है चदढीं समझदार या विवेकशील समय में सुत्ाविक चलने की कोशिश करते हैं । अतना दी नहीं बहुत से धार्मिक विचारों के लोगों ने भी नये युग के चागमन को अजुभव किया है। इसी काफल है कि हम हिन्दुओं मे कल्कि अवतार, मुसलमानों में मेंहदी छ्यौर ईसाइयों में मसीहा के अविर्भाव होने की चर्चा सुन रहे हैं। वर्मा के एक मठ मे दस हजार बौद




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