गाँधी - बावनी | Gandhi Bavani
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
573 KB
कुल पष्ठ :
55
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१८ गांघी-चावनी
दांडी-कूच १
बादल के नाहिं, देश-भक्तन के दल, घन-
गर्भेन न हक रग-द्यूरन सुनाभी है;
सुनहरी सध्या के यह, खी सिंगार नाहिं,
देश-सेविका की साडी, केरी सुहा है;
अिन््-धनु नोर्हि, ये ञुडायो है निरी ध्वज,
मोर-घुनि नाहि, भव॑देमातरम् गा दै;
भारत में भयो, ऋत॒पावस को रंग नाहिं,
मोहन गांधीने कूच, दांडी पे छााओी है.---१५.
दॉडी-कूच २
कै बहादूर चढे, डके की खगाय चोट,
झंडे झूमझूम | फरहर ! फरकत है;
देख देस शेखन की, रेखी खिस गथी सथ,
सारी दयादनशाही का, सीना धरकत है;
जा को नाहिं जोट भैसी, भ्टिसा की चोट हु से,
जाडीमों के केते केठे, कोट करकत है;
छोटी दांडी-कूच की छोटी-सी चिनगारी में से,
गोरी पातसाइत की, होरी अगठत है.--१६
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