जैन पूजन संग्रह | Jin Pujan Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मंगलाश्कम
आमन्न्रसुरासुरेन्द्र मुकुटप्रयोतरत्नश्रभा-
भास्वत्पादनखेन्दवः प्रवचनाम्भोधोन्दयेः स्थायिनः)
ये स्वे जिनसिद्धश्रयनुगतास्ते पाठकाः साधवः,
स्तुत्या योगिजनेश्च पश्च गुरवः इूरवन्तुते मङ्गलम् ॥१॥
सम्यग्दशेनमोधदृततममलं रत्नत्रय॑ पावनम्,
मुक्तिश्रीनगराधिनाथजिनपत्यु क्तोपवर्गप्रद: ।
धमः शक्तिसुधाच चैत्यमखिलं चैत्यालयश्यालयम्,
्ोक्तं च त्रिविधं चतुविंधममौ दुरबन्तु ते मङ्गलम् ॥२॥
नामेयादिजिनाधिपास्त्र सुवनरूयाताश्रतुविंशति
श्रीमन्तो भरतेश्वखभ्रतयों ये चक्रिणो द्वादश ।
ये विष्णुप्रतिविष्णुलाज्ञलधराः सप्तोत्तरा: विंशति-
स्त्रेकाल्ये प्रथितास्त्रिपष्टिपुरुषा कुवन्तु ते मज़लम ॥२॥
देव्पष्टोच जयादिका द्विगुशिता विद्यादिका देवता:
श्रीतीथेंड्रमातकाश्र जनका यन्ताश्व यच्यस्तथा ।
द्ात्रिंशत्त्रिदशाधिपास्तिथिसुरा दिक्कन्यकाश्वाष्टषा,
दिक्पाला दशचेत्यमी सुरगसा: कुवन्तु ते मज््लमू् ॥४॥
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