अनीश्वरवादियों के सन्देह | Anishwaravadiyon Ke Sandeh

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Anishwaravadiyon Ke Sandeh by सैय्यद हामिद अली - Saiyad Hamid Ali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तत्त्वदर्शिता के साथ सृष्टि की व्यवस्था चला रहा है। वह अपनी रचनाओं पर श्रति दयालु है, और जो बन्दे उसकी मर्जी पर चलते हैं, उनके लिए उसकी कृपा श्रौर सहायता के द्वार खुल जाते हैं श्रौर सृष्टि की दाक्तियां उनके साथ समरस हो जाती हैं। संसार में कोई शक्ति ऐसे व्यक्तियों का बाल भी टेढ़ा नहीं कर सकती । खुदा परस्तो का यह दृष्टिकोण सही होने के साथ इंसान को भय, आतंक श्र निराशा से बचाने वाला आर आशा और निभेयता की राहें उस पर खोलने वाला है । यह एक ऐतिहासिक श्रौर मनोवेज्ञानिक तथ्य है कि भय श्रौर निराशा, व्यक्ति श्रौर राष्ट्र दोनों के लिए घातक विष समान हैं । इसके विपरीत निभंयता श्रौर श्राशा, दो ऐसी रचनात्मक शक्तियां हैं, जो व्यक्तियों और राष्ट्रों को नव-जीवन प्रदान करतीं, उन्हें विकास-शिखर की ऊँचाइयों पर पहुंचातीं और उनके दुखों का इलाज सिद्ध होती हैं । इन दो शक्तियों का दामन अगर हाथ से न छूटे, तो परिस्थितियों के बहुत ज़्यादा बिगड़े होने के बावजूद यह आाद्या की जा सकती है कि परिस्थितियां बदली जा सकेगी । इसके विपरीत श्रगर किसी क्रौम को भय या निराशा का घुन लग जाए, तो श्रधिक संख्या श्रौर साधनों का बाहुल्य भी उसे अपमान, अ्रनादर, गिरावट श्रौर नीचता से नहीं बचा सकता । इस निमंम भौतिके जगत में जहां सृष्टि की झ्र धी-बहुरी शक्तियां मुंहर्फलाए हुए इंसान को खाने के लिए हर तरफ़ मौजूद हैं और जहां सत्ताधारियों श्र धनवानों के हाथों हर श्रोर बिगाड़ श्र अन्याय का बाज़ार गम है, खुदा की जीवनदायी धारणा के अतिरिक्त कमज़ोरों के लिए भय और निराशा से बचने की कोई राह नहीं; यही वह विश्वास है जो बे-सहारा लोगों के लिए सहारा बनता है, जो साधनो के अभाव के वावजूद इंसान को भय श्रौर निराशा का शिकार नहीं होने देता गौर मकजोरो की कमजोरी का इलाज सिद्ध होताहै- १९




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