श्रीज्ञानेश्वरी मुक्तचिंतन | ShriGyaneshwari Muktchintan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
ShriGyaneshwari Muktchintan  by शैलजा देवी वहिनीसाहेब - Shailajadevi Vahinisaheb

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शैलजा देवी वहिनीसाहेब - Shailajadevi Vahinisaheb

Add Infomation AboutShailajadevi Vahinisaheb

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
गएएएएएएएएएएतएएएएएएएएएएएआआटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटट पल उ्णाल्नणाएऐं ननववी वन बीवी गुनदरनन्व वेनन्बटे बुनज बनिवीनॉननननवनीनान पवन गन वि फिशशा घात 115 दिए. फ़्टाध 2 5 0 घफ्रिएदटा5ई 901 छिट 000 0 प्रटि हाााटादि6 0 फ़हीशा शाकषप्र 96 0166 काघ5565 85 €्टुए६6 पा 1ाणघाा06. 5 0956ा४८0 09४ था छाा91फ51 बहुजनसमाज हा तर बोलून चालून मूढ व अज्ञानी होता. पशुतुल्य जीवन कंठण्यापलीकडे त्याला दुसरी गति नन्हती. त्याचे ठिकाणी जी थोडोबहुत धर्मश्रद्धा होती तिला उच्च विचारांची बैठक कघी लाभलीच नाही. म्हणन अज्ञानाने भीतीने किवा स्वा्थवुद्धिने मंग्ठाई जोखाई म्ट्सोबा बहिरोबा इत्यादि देवतांची भक्ति करण्यापलीकडे तिची मजल गेली नाही. पिता 500ंढॉफि 85 छापा इटाणक06त फिए्ट 8 851 एफप्राघाएत 70051 0 भाणिटा भाघ5 00ए८160 फ़ाप ता दा।€55 90 115 00 111प्ात्पंतघ्रा€त ६0 एफ टाटा पिणा। पिए6 10 घिए06. प८ 00एधिएए0का४ एं6८ड11006 शिघ6 05565560 8 प्0181 घा00 500ंघा 165छणाअणपाएि 0 शूुजबघ0ाछ् पा एप एड हाघिल 001 00050ं0प5 011 01 9870 0ट9लाछ८19 1छा10160 उ.. ाएाटडीफ़घाएधाााव| 085 5810 006 0 ६ 5081 0651 घाए0फछ़ा 8 5 एंइणतबत पंप्काडिड भाए0 920 एज ण6 0एं००परंपट 1 पट एंड घिा 0 8पिं€िशाएड प्राधाहाएं8। ए1685पा65 0ऐ फणाएपएट्र 2 एपप81150 घ.0 ए0801 पा 500ंढॉप़ - जेसी रांधणी रससोय निकौ । करूनिया मोलें बिकी । तैसा भोगासाठी अविवेंकी । धाडिती धर्म ॥। ८. 2-254 म्हणौनि हे पार्था । दुर्बद्धि देख सवेथा । तयां वेदवादरतां । मनी वसे ॥ ८. 2-255 तोजेंजेंबोले । तें अज्ञानचि फुललें । तयाचें पुण्य जें फठलें । तें अज्ञान गा ॥। 0. 13-842 1. घिए डघिएट पफ़0 कटटएरघाए पुणडीाणाइ 09 96 तट भतधिन- 1 भाधका ए़/8.5 1116 00855 0 8एताटड 01806 908 1 आाएदा।८ीफाघावा8 0218 810 2 भताए तात 6 85160 58िपाए86008 छ8४४ शा छणि पिंड एणाएफाडाधिएएं ? 08 ॥6 ५80 इघ्तीदएं &212ा पांडफ्ा 000 मधि त00घ065 15 8.05 ला दा दिए 16 85. &तूजालाए अधि फ़िध 6 080 ८0ण05प6 छिधि859्200घा885 0 पार्द-८एणणाएलाधिधिड 0 ांघि. 1181 १८ 020 एटाए पार्ट अपितादतठ था फकाएए्लफृका एएमएओावव5 15 60प8 19 टाध्का 05 1 ८1 96 58लि9 इिटिए ५8 96 980 एल ०४८ छिघ6का8छएछा18 छिघाएघ5पघ85 0हापिाएंट5 ०थणि6 15 फएटाप6 छज़585 दि0घ9ि081छादघि धजुातााटत सं 0 त.0985191 918 07091 98. 788-820 21 इरघाएघाएपव 1017-1131 10 हव पद 9 21 हि 2. 1162 219 नधितघए800का98 1197-1275 &21 . ८56 पांटफाइ ८0711 8117 6१ &शु०5पा६ 0. द्रां5िवड्घि्ी|्यांधि उएवांचिचीवचांदि 8 फ 5दर्घघर्घीर्घाघ प़ांटफा 0 पिएएघाएलाधि। कृति 05009. 106 घा€ 8150 छ्006 7685015 ६10 06676 फि.2 ॥6 00 ॥फ्ं0 8000प0 अ०्दाएघ5ांडद्र 7घघ्र्ंघघर्घघाट्घादिघ धागा 25 एच पा. हि पाए 25 फ़ाट 25 ००0८5 0 ऑपघारधिध्रघाादि का पराह 50007. ज्ञा-दोन अ अकरा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now