स्वातंत्र्य - सेतु | Swatantrya - Setu
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
289
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जेम्स ए. मिचनर-Jemes A. Michener
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छोड़ा गया, निससे ए. वी. ओ. कै आदमी उपद्रवकारियो को देते योर
पहचान सकें ।
भीड़ के लोगों ने ए. वीं. थो. की इस थ्राल का तीत्र अतिवाद किया और वे
उन यंत्रों की ओर ईट-पत्थर फेंकने लगें। यह वात पए. वी. भो. के आदमियों
के लिए असह्ा थी। अतः उन्होंने भीड़ पर गोली-वर्पा आरम्भ कर दी |
यदद देख, ख््रियीँ चिल्लायी--“ वे दमारी दृत्या कर र्दे ई!»
यगि खड छचर चिल्लये--“ वे पागल कुत्ते ह ! उनका सामना करो ] >
इमारत की दीवारों के पीछे इत्मीनान से सुरक्षित बैठे ए. वी. यो, के आदमी
गोली चलति स्दे--लोग दतादत होकर गिरते रदे! कह दृश्य देख, इंगेरियन
सेना के एक अफ्तर नेत्रा दी कठोर निश्वव क्रिवा। उसने गेरी की, खास
कर कम्यूनिस्ट सरकार की, सभी शत्रुओं से रक्षा करने के लिए शपथ ली थी
पर साज रेडियो-बुडापेस्ट पर हमला करनेवाले शत्रु न तो विदेशी थे और न
पजीयति कुत्ते, जिनके वारे में उसे सावधान क्रिया गया था] वे तो उसके प्यारे
भाई, बचे और मदिलाएँ थी । ऊद श्वग तके तो वद्, हतप्रम-सा, लोनों को
इताइत दोते देखता रहा और फिर वह अपने निर्णय के अनुसार कार्य करने पर
उद्यत हो गया। ॥
व् उद्युल कर एक टक पर् चदु गया यार हत्याय
चिव्लाया--“ यरे चानवरा ! किन लोगों को मार रदे हो
द गये?
उन बंत्रों के तीव्र प्रकाश में खड़े दोकर चिल्लानेवाले उस सैनिक को
दखकर लोगों में एक अजीब भवमिश्रित नीसता छा गयी। चत्ठ॒ुतः उससे
अप्त याणे की बाली लगा दी थी। व अव्र मी चिल्ला रहा था--“ आओ
जानवरा ! गोली चलाना उन्द् करौ {2
तमी उस अंधकार इमास्त केः कसी भाग से मशीनगन चली ओर
सैनिक अधिकारी एक तीव्र ^ आद ` के साथ गिर पड़ा | स्व्तेत्रता के लिए. संघप
करते हुए अपनी जान देनेवाला वह कम्यूनिस्ट हंगेरी का पहला सैनिक था |
उसके गिरते द्य भीड़ युग ठरद उसेजित दोकर चिस्लाने लगी यीर् जो
लोग रेडियो-स्टेशन के निकट थे, वे फाटकों यीर इमारत की दीवार को पागल
की तमद् पीटने लगे । लेकिन विवेकशील नेताओं ने अनुभव किया कि जन तक
शस्त्र उपलब्ध नहीं होंगि, तब तक भीड़ के लोग (उन्हें * क्रास्तिकारी * कडना
उपयुक्त न 'होगा। ) अपने लब्य को नहीं पा सकेंगे |
१
को सम्बोधित कर
तुम? पागल तो नहीं
User Reviews
No Reviews | Add Yours...