नागरी प्रचारिणी पत्रिका | Nagri Pracharini Patrika

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Nagri Pracharini Patrika  by श्री सम्पूर्णानन्द - Shree Sampurnanada

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मंडन और उनका नयनपचासा किशोरीलाल गुप्त १. मंडन संबंधी उल्लेख मंडन श्रौर तासी मंडन का सबप्रथम उल्लेख तासी ने किया है। वह इनके #बंध में लिखता है कि मंडन ने 'जनकपचीसी” नामक प्रंथ की रचना की थी । इसमें जनक की पुत्री सीता के राम के साथ विवाह का वर्णन २५ छुंदों में हुआ है श्रौर यह ग्रथ मेनपुरी में प्रकाशित ढुग्रा था । हिंदी कविता के इस छोटे प्र थ में कुल १६ पुष्टये! मंडन 'और शिवर्सिद सरोज मडन का द्वितीय उल्लेख शिवरसिह सरोज में मिलता है। सरोज मे इस कवि के संबंध में निम्नांकित सूचनाएँ मिलती हैं - क. मंडन जैतपुर बुंदेलखंड के रहनेबाले थे । ख. यह संत्रत्‌ १७१६ मै उपस्थितं थे | ग. यह महाकवि हो गए हैं । घ. यह राजा मंगद्सिंह के यहाँ थे । ड. रसररनावली, रसविलास श्रोौर नयनपचासा, ये तीनों श्र थ इनके बनाए, हुए, महा उत्तम हैं । रसरत्नावली साहित्य में देखने योग्य अंथ हैं । मंडन ओर प्रियसन प्रियसैन ने 'द माडर्न वर्नाक्युलर लिटरेचर श्राफ दिंदुस्तान' की १५४ कवि- संख्या पर मंडन का विवरण दिया है, जो पूर्णतया सरोज के श्राघार पर है । प्रियर्सन ने सरोज में दिए संवत्‌ १७१६ को जन्मकाल समझकर इनका जन्म सन्‌ १६५६ ई० में माना है। इनकी कविता के काव्यनि्णय एवं सु द्रीतिलक मे होने का संकेत किया है। बस्तुतः काव्यनिणय में इनकी कविता नहीं है। ब्रजभाषा कवियों में प्रमाणकोटि मे श्रानेवाले कविय की जो सूची ( काव्यनिणय, प्रथम उल्लास, छंद १६) न १. हिंदुई साहित्य का इतिहास, प्र» २०० |




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