हितैषी गायन रत्नाकर [भाग १] | Hitaishi Gayan Ratnakar [Part 1]

Book Image : हितैषी गायन रत्नाकर [भाग १] - Hitaishi Gayan Ratnakar [Part 1]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १२३.) पड़ी निस पे नजरिया तुम्हारी जी चालो हूं जि०॥ २॥ बाजों की लागती है भयानक भनक यभ, भाता नहीं है गं जगत्‌ का तनक मुभ, सुन शासनं बसरिया तुम्हारी जी | रासो हुजि० ॥ ३ ॥ करमां की घास फंकी 'प्रभ ने उखाड़ कर, व्रेराज्ञ की वहार है खेती की बाढ़ कर, थाई करुणा वदरिया तुम्हारी जी। चालो हूं जी डगरिया० ॥'21। १२ ( दादरा थ्येटर ) तीजो २ खंवरिया हमारी जी ।॥ टेक ॥ धोखे में त्रागये है कुपतिया की चाल में, रदखा हे हम को वांध के कर्म्मों के जाल में, लीजो० ॥ १ ॥ बीता श्ननादिकाल् हाल करै नही सक्त, जो दुख हमें दिये है वो अब सह नहीं सक्ते, लीजो० ॥ २ ॥ तन धन का नाथ कुड भी भरोसा मुभे नहीं, माता पिता भी कोई संगाती मेरे नहीं, लीजो० ॥३।, सच है कहा संसार में कोई न किसी का, न्यामत को सिवा तेरे भरोसा न किसी का, लीजों ० ॥॥४॥- 9१९ ( प्रभु तार २ भव सिंघु० ) प्रभु तार तार भवसिंधु पार, संकट मकर, तुम ही




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