हितैषी गायन रत्नाकर [भाग १] | Hitaishi Gayan Ratnakar [Part 1]
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १२३.)
पड़ी निस पे नजरिया तुम्हारी जी चालो हूं जि०॥ २॥
बाजों की लागती है भयानक भनक यभ, भाता नहीं है
गं जगत् का तनक मुभ, सुन शासनं बसरिया तुम्हारी
जी | रासो हुजि० ॥ ३ ॥ करमां की घास फंकी 'प्रभ ने
उखाड़ कर, व्रेराज्ञ की वहार है खेती की बाढ़ कर, थाई
करुणा वदरिया तुम्हारी जी। चालो हूं जी डगरिया० ॥'21।
१२
( दादरा थ्येटर )
तीजो २ खंवरिया हमारी जी ।॥ टेक ॥ धोखे में
त्रागये है कुपतिया की चाल में, रदखा हे हम को वांध के
कर्म्मों के जाल में, लीजो० ॥ १ ॥ बीता श्ननादिकाल्
हाल करै नही सक्त, जो दुख हमें दिये है वो अब सह
नहीं सक्ते, लीजो० ॥ २ ॥ तन धन का नाथ कुड भी
भरोसा मुभे नहीं, माता पिता भी कोई संगाती मेरे नहीं,
लीजो० ॥३।, सच है कहा संसार में कोई न किसी का,
न्यामत को सिवा तेरे भरोसा न किसी का, लीजों ० ॥॥४॥-
9१९
( प्रभु तार २ भव सिंघु० )
प्रभु तार तार भवसिंधु पार, संकट मकर, तुम ही
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