ललित शिक्षावली | Lalit Shikshawali

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Lalit Shikshawali by सरदार बहादुर - Sardar Bahadur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ५ ) कि राजकुमार चेसिल का विवाह कुमारी मिसिल कं साथ किया जाय; शादी की वातत दहत गई त्रैर शादी कं लिए तैयारियां मी हेष्ने लगा । उन दिनों में संगालिया में एक वड़ा भयानक डाकू था । उसके चहुत्त से साथी भी थे । वह अकसर वड़े वड़े कराड़पतियों के घरां पर डाका डालता था । साका सिलने पर वह लड़के और लड़कियों को भी उठा ले जाता था और अपने यहाँ वह उन को दास दासियां के माफिक रखता था । मंगोलिया देश भर कं साग उस डाक के लिए हैरान श्र । उसने देश भर में दल चत्त सी मचा रखी थी । ` बह डाकू किसी तरह पकड़ा मी नहीं जाता था । उसको पकड़ने के लिए बड़ी वड़ो कोशिशों की जाती थीं मगर वह सपड़ में नहीं अता था । एक दिन आधी रात को अवसर पा कर वह्त डाकू अपने साथियों के साथ उस वुड़ढे महाजन के घर में घुस गया और वहत सा धन अर विचारी मिसिल को भी अपने साथ ले भाग गया । जब यह ख़बर राजकुमार चेसिल ने सुनी तव वह बहुत दुखित हुआ । क्योकि उसका विवाह मिसिलल के साथ उन्दी दिनों में होने वाला था | बहुत नाराज़ हो कर राजकुमार नें उस डाकू को पकड़ने का पक्का इरादा किया । झ्रपने पिता से श्राज्ञा ले और वहुत से अच्छे अच्छे मज़बूत आदमी अपने साथ लेकर राजकुमार डाकू को पकड़ने के खिए घर से निकल पड़ा । ` वह डाकू ऐसे चने जंगलो ्नौर पहाड़ों के चीच में रहता था जहाँ व्प्रार किसी झादमी का पहुँचना महा कठिन था । कई दिन चल कर राजकुमार उन पहाड़ां के पास पहुँचा जहां




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