शरत - पत्रावली | Sharat Ptrawali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्ारत्-पत्ावरी ५
न जाये । वे मेरी चीर्जोको छृदयसे प्यार करते हैं । शायद इसीलिये उनकी इतनी
सतर्कता है |
एक वात बौर उपीन,. . ....' भारतवर्ष के लिए प्रमघ बार वार * चरित्रहीन *
मोग रहा था । अन्तमें इस तरदसे जिद कर रददा है कि क्या कहूँ । वह मेरा
बहुत दिनोंका पुराना दोस्त है । और दोस्त कदनेते जिस वातका वोध दोता है,
वह सचमूच वदी है 1 उसने गर्यके साथ सवसे कदा है किमे “ चरित्रहीन * दूँगा
ही और इसी आचारम च, . .आदिके चार पच उषन्यारसोको चमण्डमें आकर लटा
चुका है । वही ” भारतवर्ष * का मुखिया है | अब द्विंजू वाबू आदि ( हरिदास,
> „ शुरुदासके पुत्र ) ते उसे धर द्वाया है । इधर ' यमुना ° मँ भी विज्ञापन छपा
है कि उछी पत्रिकामें * चरिहीन * चछ्पेग । समाजपति भी बरावर रजिस्दी-
चिद्धर्यो लिख रै हैं। किघर क्या कहूँ, ङु भी समरे नदीं आ रहा है । भमी
अभी प्रमथनाथ लम्बी रोने धोनेकी च्द्धी मिली । वह कता है करि यह उषे
नहीं मिला तो वद्द मुँद दिखाने लायक नहीं रहेगा । यहाँ तक कि उसे पुराने इट
मित्र क्लब वगैरह छोड़ना पढ़ेगा। क्या करें, जरा सोच कर जवाब देना ।
चुम्दारा जवाब चाहिये। क्ट्रॉकि एक मात्र दुम ही र्खे इसका इतिदास
जानते हो ।
बहुत अच्छा नहीं हूँ। सात आठ दिनोंसे ज्वर भा रहा है । अगर जरुरी
समझना तो खरेनको यष्ट पत्र दिखा देना । तुम आपसे जितना चादो लड़ी
लेकिन में तुम लोगोंका किसी समय शिक्षक था, कमसे कम उम्रका सम्मान
तो देना ही 1
~ सेवक शरत्
ष
अचल नि
( फणी बाबू, यह पत्र आप पढ़कर उपेनकों मेज दें 1)
नें १४; पोजाउंग डाउन स्ट्रीट
रंगून १०-५-१९१३
प्रिय उपेन्द्र, आज तुम्हारी भी चिट्ठी मिलो और प्रमथकी भी । ठुम मेरे
यारेमें बिल्कुल स्वस्थ दो गये दो, इससे कितनी चृप्तिका अजभव कर रहा हू,
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