पंजाब - केशरी | Punjab Kesari
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)¢ = ससद
लूटनेसे होता था । वीरता प्रत्येक सरदार्का आवश्यक गुण
था। जो मनुष्य “अमरसिंह मजीदिया की नाई क्षमे तीर
पार कर खकता-था.या जो मनुष्य श्दरीसिंह नलुवा”कीक्षनाई'
तलवारके एकी वारसे सिंदका -शिरःच्छेदन कर सकता था,.
वहीं मनुष्य सरदार माना जाता था और उसकी ख्याति सुन
कर दूर-दूरके वीर उसके झण्डेंके नीचे चले आरहे थे । धोरे-
घीरे वीरता और विराद्रीके वड़प्पनके ध्यानसे सिक्खोंमें सर-
दारीका पद नियुक्त दीने लगा ओर इसके उपरान्त राजा ओर
सघ्राट्का पद् भी निश्चित हुआ 4
सिक्ल्लोंकी प्रसिद्धि, उनके चाहुवलकी पराकाछासेद्दी नियत
हुई और सच तो यद्द है, कि संसारकी सभी चलवती ज्ञातियाँ
इसी प्रकार गीरवको प्राप्त हुआ करती हैं। भत्येक सिक्ल-
सरदारकी यदह कामना रहती थी, कि वह अपने वर तथा वुद्धित्ते
अपने अद्ुचर एकन्न करे । सरदार्येको इस बातका तनिक भो
ध्यान न था, कि जो छोग उनकै शण्डेके नीचे भाकर एकन होति
हैं, वे किस समाज या जातिके हैं ! हाँ, इतना अवश्य देख लिया
जाता था, कि.वे सवारका काम कर .सकते और लड़ सकते
हैं वा नददीं । इस मान् परिवर्त्तनके समयमें - प्रत्येक -सिक्ख
पूरा संचार था और भली -भाँति युद्ध कर सकता था । गाँव -
प्रायः ऊंचे स्यलोपर बसते थे, जिसमें. मैदानसे आनेवाले -शश्ुओं-
को भली भाँति :देख सकें । उनकी '-गजियां ऐसी. खद्टी णं.ददोती
` ~® “हरीसिंद नलुवा”की जीवनी हमारे यहाँ 1) 'आनेमें मिलती है ।
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