भैया भगवतीदास और उनका साहित्य | Bhaiya Bhagvatidas Aur Unka Sahitya

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Book Image : भैया भगवतीदास और उनका साहित्य  - Bhaiya Bhagvatidas Aur Unka Sahitya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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'ब्रह्मविलास' की हस्तलिखित प्रति, जो मेरे प्रपितामह लाला भूष सिंह जी ने स्वपटनार्थं तैयार कराई थी, स्थानीय जैन मंदिर के शास्त्रोगार में उपलब्ध थी। तब ' तक इस ग्रंथ के प्रति मेरी श्रदूधा अन्य जैन धर्मावलम्बियों की भाँति हाथ जोड़कर मस्तक झुका लेने तक ही सीमित थी, किन्तु इसकं पश्चात्‌ इस ग्रंथ के साहित्यिक सौंदर्य एवं दार्शनिक महत्व का अवलोकन किया तथा उसे हिन्दी संसार कं सम्मुख प्रस्तुत करने का निश्चय किया। मैंने डॉ0 रामस्वरूप आर्य (तत्कालीन हिन्दी विभागाध्यक्ष, वर्धमान कालेज, बिजनौर) के कुशल निर्देशन में भैया भगवतीदास और उनके कृतित्व पर आगरा विश्वविद्यालय से सन्‌ 1976 में शोध-कार्य सम्पन्न किया। मैया भगवतीदास कृत अनेक रचनाएँ जैन धर्मावलम्बियों को कंठस्थ हैं, उनका नित्यप्रति पाठ किया जाता है किन्तु उनके नाम तथा महत्व से सामान्यता वे अपरिचित ही हैं, हिन्दी साहित्य संसार की तो बात ही क्या है? अभी तक इस दिशा में कोई भी विशेष कार्य नहीं हुआ है। उनके सम्बन्ध में उपलब्ध जानकारी के नाम पर हिन्दी जैन साहित्य कं इतिहास तथा जैन भक्त कवियों की परम्परा में उनका अति संक्षिप्त परिचय एवं पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित कुछ लेख मात्र ही प्राप्त हैं। प्रस्तुत ग्रंथ का प्रकाशन इसी अभाव की पूर्ति करने का एक विनम्र प्रयास है। इस ग्रंथ मे भैया भगवतीदास के जीवन एवं कृतित्व के सम्बन्ध में यथासम्भव विस्तृत एवं गम्भीर सामग्री प्रस्तुत की गई है। यह ' भैया भगवतीदास और उनका साहित्य' का दूसरा संस्करण है। प्रथम संस्करण मित्तल पब्लिकेशन्स, नई दिल्‍ली से प्रकाशित हुआ था। प्रस्तुत शोध-ग्रंथ सात अध्यायों में विभक्त है तथा अन्त में परिशिष्ट भाग है। प्रथम अध्याय में भैया भगवतीदास का जीवनवृत्त प्रस्तुत किया गया है। इस में अन्तसक्यि तथा बहिसक्य के आधार पर यथा सम्भव उपलब्ध सामग्री का उपयोग किया गया है तथा जैन साहित्य में भगवतीदास नाम के अनेक विद्वानों का अस्तित्व होने के कारण व्याप्त भ्रान्तियों का निराकरण किया गया है। द्वितीय अध्याय में भैया भगवतीदास जी की समकालीन परिस्थितियों का स्पष्टीकरण किया गया है। यह अध्याय चार उपविभागों में विभक्त है- राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक। कवि का साहित्य तत्कालीन परिस्थितियों से किस सीमा तक प्रभावित हुआ है यही इस अध्याय में स्पष्ट किया गया है। तुतीय अध्याय में भैया भगवतीदास जी की समस्त कृतियों का परिचय दिया गया है। यह अध्याय सात उपविभागों में में विभक्त हैं- रूपक काव्य, दर्शन (भ)




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