बाईसवीं सदी | Baeesavi Sadi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : बाईसवीं सदी  - Baeesavi Sadi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

Add Infomation AboutRahul Sankrityayan

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
वर्तमान जगत्‌ १३ “जीवित ही नहीं, बल्कि आज उस विद्यालयके मुकाबलेमें संसारमें शायद ही कोई दूसरा विद्यालय हो । दर्शन, ज्योतिष, भाषा-विश्ञान, इति- हास और राजनीतिक लिए नालन्दा अद्वितीय है।”” मे जिस समय नालन्दा विद्यालयके उत्कर्षको सुन रहा था, मेरे आनन्दकी सीमा न थी, हृदयमें आनन्दका सिन्धु तरगें मार रहा था। श्रोतागण भी इस परिचयसे बहुत प्रभावित दीख पढे। सब-के-सब मेरी ओर एक ऐसी दुष्टिसि देख रहे थे, जिसमें प्रेम और सम्मानका भाव था। अब मेरी ज्ञातव्य बाते उन्हे मालूम ही हो चुकी थी । मेने उनकी बात जाननेके लिए अपनी राम-कहानीका यो शीघू अन्त कर दिया-- “कोई तीस वर्ष तक बिद्यालयकी सेवा करनेके बाद मे उत्तराखंड घूमने आया । उस गुफामें, जो यहाँसे १२-१३ कोसपर है, पहुँचकर मुझे मुर्छा या नीद आ गई, और अब तक वही पत्ठा रहा । बस, यही मेरी संक्षिप्त कथा है। अब आप लोग बतलाये, आपकी जन्मभूमि कौन-सी है, क्योकि आपकी भाषा तो नेपाली नही मालूम होती 1” “अब उस नेपाली भाषाको तो आप कही बोली जाती न पायेंगे। हाँ, पुस्तकालयोमें उसकी पुस्तके अवश्य पाई जायेँंगी। अब सारे भारत- ब्षेमें एक-ही भाषा बोली जाती है। हम सबका जन्म एक ही जगह नहीं हुआ है। यद्यपि मेरे पिताका जन्म काठमांडोका था, लेकिन नालन्दा विद्यालयमें शिक्षा समाप्त करनेपर उन्होने गया जिलेके दाक-प्रामको अपना कार्य्य-क्षेत्र बनाया । मेरा जन्म वहीका है। अभी मेरे पिता जीवित है और आाज-कल माताके साथ हजारीबागके वृद्ध-श्राममें रहते है। उनकी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now