पुराणसार संग्रह | Puran Sar Sangrh

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Puran Sar Sangrh  by आचार्य दामनन्दी - Aachary Damanandi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषया नुक्रम मगवान्‌का दीश्चा-कल्याणक रथ < चतुथ स्म पद्मखेटपुरमे धन्य राजाके यषां भगवानूकी पारणा ओर पञ्चाश्चय उक्त शं वरदेव द्वारा भगवान्‌ पर उपसर्ग धरणेन्द्र जर पद्मावती द्वारा उपसगंका निवारण केवटज्ञान-कल्याणक पश्चप सर्म भगवानूकी स्तुति भगवानूके समवसरण्मे दश्च गणधर आदिकी संख्याका निर्देश भगवानूका ६९ वषं ८ माहतक विहार भगवानूका सम्मेदाचरूपर योगनिरोध व मुक्तिठाभ निर्वाण-कल्याणक वधमान-चरित प्रथम सगे मं गखाचरण छन्रःकारपुरके राजः नन्दि वधन व उनका वैराग्य छत्राकार पुरमें नन्दिवर्धन राजाके पुत्र नन्दुन-द्वारा प्रोषटिढ सुनिसे अपने पूर्व भव पूछना प्रोष्टिल मुनि-द्धवारा नन्दनके पूव भवाका कथन प्रसंगसे नन्दनके आठवें भव वृं सिंह अवस्थामें मुनि-द्वारा सिंहके पूर्व भव कथन १७२ १९८ १४८ १.५० १.५० १५५६ १९.५८ १६० १६० १६२ १६४ १६४ १६६ १६८ १६९८ ११ १७६ १४९ १४९ १५५१९ १५१ १५७ १५९ १६१ ५६१ १६३ १६५ १६५ १६७ १६९




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