संयुक्त प्रान्त की अपराधी जातियां | Sanyukta Pranta Ki Apradhi Jatiyan
श्रेणी : इतिहास / History, विश्व / World
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
229
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गोपीनाथ श्रीवास्तव - Gopinath Shrivastav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८५)
६. मुखलमान जातियों
समाज थपना फाम सुचाय रूप से चलाने फे लिये मिपम यना
लेता दे । इन्दीं नियमों को कानून या. विधान कहते ई । नियमों फी
द्राजा पालन करना प्रत्येफ व्यक्ति का कर्चव्य दो नाता ई। जो
व्यक्ति इन नियमों का उल्नपन या श्रवदेलना करता हैं, पद समाज
के प्रति अपराध करता दे श्रीर चद श्रपयघी कद्लालारेश्रौर उसे
कानून के ग्रवुसार दण्ट मिलता | श्रमाग्यवश हमारे भान्तमें कुष
जाति ऐसी हैं, जिन्होंने श्वपराथ करना ही श्रपना पेशा चना रत! है ।
चोरी, डाका, लूट मार, जालसाजी करके ही वे श्रपना थौर श्रपने
परिगार का भरण पोषण करते हैं । साधारण दूठ विधान का उन पर
कोई झ्रसर नही हुआ शोर न जेलसानों की सजाश्ों से उनको मय
दिलाया । श्रपराघी जातियों को षश में करने के लिये एफ विशेष
कानून बनाना पढा जिसे “द्परापी जातियों का कान” या “क्रिमिनल
ट्राइव्स एक्ट” कहते हैं । जिन जातियों या मिश्रित दल्लों को इस
कायून के द्वतर्गत घोषणा कर दी जाती हे, नह जाति धा मिश्रित दल
यपरघी जापि घोपित करार दी जाती है दौर उस जाति या दल पर
उस जातिया दल के प्रत्येक व्यक्ति पर दस काग्ून के श्रन्दर
कार्यबाही की जा सकती है |
इस पुस्तक में इन्हीं अपराधी जातियों का वर्णन है । मिश्रित दल
में चूँकि झन्य जातियों के व्यक्ति शामित होते हैं और गेना
अपराध करने के ही लिये सम्मिलित हो जाते हैं। उनकी श्रपराघी
जातियों में केवल इसीलिये घोषणा कर दी जाती है ताकि उनकी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...