नरसिंहपुराण भाषा | Narsingh Puran Bhasha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
302
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)- ` मरसिंहपुराण भांषा । ` 9 र.
- कस्मात् उनके शरीरसे तम उत्पन्नहुभा-१५ उसंतम्के पच
नामेह तम सोह महामोह तामिंखरसन्धतभिख येप च ्रविधा
की गंटिं ह बस उन्दी :त्रह्माजीसे सविया की उत्पत्ति
3६ इन्हीं अविद्यारूप पौँचों तमोंसे यह सुटि सवन्मोरंसे आ-
च्छादित रहतीहैः सृष्टि 'जाननेवाज्ञे परिडितोनि इन्दीको मुख्य
सृष्टि काहे 9७ जिससे कि दूसरीवार ध्यानेकरनेसे येप्रांच अं-.
कारके अन्धकार उत्पन्नहुयेथे इसीसे इनको तिय्येक्सोतकह-
ते है च इनते.जो सषि होती वह्-तिच्यंग्योनि कहाती है १८
चे सव पशुगण व कुमाग्गेगामीलोग इप्तीतिय्यैग्योनिमे है इस
सृष्टिकोमी असाधकमान च्रारमुखंवाले ्रह्माजीने 9९ ऊष्वैखो-
तनाम तीसरी सृष्टि बनाई उससे प्रतन्नहोकर उन्होंने अन्य
सृष्टिके रचनेकी इच्छांकी २० इच्छाकरतेही उनकी :सृष्टिकी ,
बड़ी रडिहुई उसं सृषटिका अच्धौक्घोत नामह आ मनुष सव
. भ्रकारके इसी 5 है ये सच सव कास्योकि साधक हैँ २१
, इनमे नवप्रकारहै व संब. मनुष्य तमोगुण ओर रजोगुए को
घारणकरतेहें इसीसे ये कम्मेकरने भ दुःखी पातेरहतेह पर
फिर २वैसेहीं क्म्मे कियाकरते हैं २२ है मुनिसत्तम यह बहुत
: श्रकारकी सृष्टि ठुमसे हमनेकंद्वी पहिली तो महत्तत्वाद्िकोंकी
सृष्टिहैःदसरी उनके गुणोकी २३.तीसरी उनके विकरोकी जो
कि इंन्द्रियोकी सृष्टि कहातीहै्र तौथी स्थावरोंकी सृष्टिहै यह
- . मुख्यसृशिकहातीदैगरप्वजो तिच्यैकूखोतकहा तीह वह तिय्ये-
ग्योनि पंशुआओकी धिषटिदैःवद पा मृथिदद इसकेपीवे उर्व
-सोतस्सृष्ठि.जो देव्ृष्टि कहातीहै यद -छठीहि २५ .इसकेपीडे
- ` अव््ौक्लोतसुभनुष्योकी पिरदे यह साते माठर अनु
- सृष्टिःजोः सालिकीमृष्टिःकहातीदेः २६ नवै दवसष्टिस नव॒.
„. अकीरकीःसृिम पाच ति रकेत कहती दै जो महदरादिको के
` विकरोति होती वँ तीन. नो श्रहृतिसे उत्पन्हतीहै .
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