महाभारत भाषा | Mahabharat Bhasha
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
69 MB
कुल पष्ठ :
797
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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शान्तिष्पं मषाः का सचीपन् | ` १६
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शीष्मजी का युधिष्ठिर सेःशिष्य ओर गुरू का परस्पर में मीक्ष
सम्बन्धी ,प्ररनोत्तर वणेन, , ˆ ~, ४०४
भीष्यजी का युधिष्ठिर से सतोरण व रजारुण व तमायुणं का
प्रभावे चणैनः -.~ : (11 ४०४
भीष्मजी का युषष्ठिर सेः पृथक् ‡ रजोगुण. तमोगुण सतोगुण |, ं
का स्वभावगुण लक्षण वणंन करना, 1 ९०७
भीष्पजी का युधिष्ठिर सेः काम) क्रोधः. लोभ)ःमोह् ` म, संयुक्त
- मनुष्या कौ प्रकृति का वणेन ४०८
भीष्मजीका यषिष्टिर से विज्ञान शख़िररूपव मोक्ष का उपाय थ० 2११
भीष्मजी का युधिष्ठिर से ईश्वर ब्रह्मरूपमे भप्त होने की विधि व°; ४१३
युधिष्टिर का, मीष्पजी से दिराद्रूप को पूछना वे भीष्मजी का ४
विस्तारपूवेक वणेन करना, ` -.. ८. ४११
५४. | भप्पजी का युधिष्ठिर से.जीव इश्वररूप. रादहेत का वभागः |
~ समेत वणेन.करना,- , ˆ - ° ` ४१८
युधिष्ठिरजीका भौष्मनी सेःराजा जनक्रके . माक्ष दानेका दासं |.
पद्धना च भीष्पजी का पंचशिखन्म ऋषीश्वर का इतिहास
र + विधिपएवेक कहकर समभराना; वणेन, ` न उ 2. | १ ४२०
४६ | मीष्मजीं का युधिष्ठिर से ` राजा जनक व, कपिलिदेवं -पुनिका, ४
- सम्बाद् वणेन करना, „~“: ४२३
युधिष्ठिर का मीष्मजी से सुख दुःख होने का कारण क निभेय | ˆ .
होने का यत्र पूछना च भीष्मजीका जनक व पंचशिख ऋषी- | .
श्वर का सम्बाद् कना. ˆ । ~ >| ०२४ | ४२४
यधिष्ठिरका भौष्मनीसे त्रतादिकोंका विधान, पृद्धना व ` भीष्मजी
- का विधिवत वशेन.करना, २४ | ४२६
युपिष्ठिर का भीष्मजीसे शुभ अशुभ कमें के कत्ताओं को पूछना
व भीष्पनीका इद्र मौर रदलादका' सम्बराद सुनाना, ' | ४२६ | यन्त
युधिष्टिरका भीष्मजीसे निद्धनीराजाझँके दुःखका कारण पूछना
व भीष्मजीका इसी दविपयमें 'राजाइन्द्र पर चंलिराजा का
इतिहास वणान करना, ~~ |, | ४२६
भीष्मजीका राजा युधिष्ठिरस इन्द्र व वलिका युद्ध बणन करना !
व वलिके झंगसे लक्ष्मीका निकलना; के ४२६ | ८३९३
भर्
५२
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बलि के अंग से निकली हुई लक्ष्मी को देखके राजा इन्द्रका| --
लक्ष्मी से पूछना व उसका उत्तर देना, ~ „+ | ४३३ ४३६
भीष्मजीकायुषिष्ठिरसे निरदैकारताके विषयम् एर्दतिहाखकटना, | ४३९ ४१७
युधिष्ठिरका भीष्मनी से पूना कक वन्धुरो समेत राज्यक् नष
ोजानेषर कल्याण करनेवाला -क्या रै च उनका उत्तर देना, ¦ ४६७ ८८
युधिष्ठिरका यीष्यजी से चेश्वग्थेवान रोनेवाले ब न्ता को ।
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