जागीरदार | Jagirdar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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जयराम विष्णु जोशी - Jayram Vishnu Joshi
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नारायण विष्णु जोशी - Narayan Vishnu Joshi
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जागीरदार
अंक पहुला
(स्थान--एक कर्तकारका मोपद्ा । सामनेके प्मीगनके पीठे वाद
घोर एवं टली, जो स्टेजके आधे हिस्तेते भी कम दै । श्रोटलौकी दीवार
जमीनसे दो फट उंत्वी है। दाहिनी छोर सामने एक दरवाज़ा, जिसमेंते
चुद अनाज रखनेकी कोदियोँ, टोपडे, फटे हुए गोदड़े रखे हुए दिखलाई देते
हैं । श्रॉगनमें बौई श्रोर एक खाट खड़ी की हुई रखी है।
जय प्रदा खुलता रै, तव राजल श्रोरलीमे वां श्चोर् चक्कीपर आट
पीसती रहती हे । पीते समय उसकी पीठ प्रेक्षकोंकी ओर होती है वद
नीले रंगकी पिछड़ी श्रौर उसी रंगका लहँँगा पहने हैं । लहेँगा उसके लिए
प्ट श्ोछा है । उस्र दाथोमे मालवी श्रौरत जैसी चूढि्यौ शरोर पैरोमिं कट
हैं । ढातीमें चांचुली पर एक रुगाली दोती है! षद्धी पीसते हुए राजल यह
गीत गाती है 1)
राग--विहाग, ताल दादरा
कातिक आयो तो पी नी ायो लेवाने बीराराज१
शारा सार नी गली सावण शरावो वीराराज् ॥
रेरा गदो दीवाली आद् जो थारी चाट ।
घन्ना में कसो भूल्यों रे भलां, बेना६ के वीराराज
थारा खर श्राया राख्या, रस्या मीठा गोर्
रा साम रा< छोटा म्रा सीरा ॥
तो परी पीजरा> मौय, पेखा फटफडाय
वानों बुलाई सगुन पूछें. थारो दीरारान ॥
गारका जाया सही८ आज चूनर९ लाज चार् ।
ध्रा पासर१० ये. दे सुगाउ दखटो नीराराज 1!
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(! ) मादे लिए प्यास्का सन्द! {२ तेरे लिए (२) रूदनमें
चारपर गला नहीं भले 1 ( ८१ दः (४) इतनेमें। ( ६ ) दहन 11 ७)
पस दद ९९ शाएँ। ६) साइियें 11 १० १ दिन्ा ।
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