स्वामी रामतीर्थ की संक्षिप्त जीवनी | Swami Ramteerth ki Sankshipt Jeevani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्वामी रामतीथ । श
आँखुओं से कपड़े भीग गए. | वे सैकड़ों भकार के करुणा-पूर्ण
हदय-वेधक वाक्ष्यो का उष्वारण करते थे । अंतमें.ये ई््वर
से अत्यंत विगलित चित्त से; निश्न-लिस्थित प्रार्थना कविता
रुप में करने लगे-- ५
कुदन के इम डे हैं जब चादे तू गला ले ;
बाचर न है ता दमके ले आज भाज़मा ले |
जैसे तेरी खुशी दो सब नाच तू. नचा ले ;
सब छान-वीन करले दर तौर दिल जमा ले ।
राज़ी हैं दम उसीमें जिसमें तेरी रज़ा है ;
याँ याँ भी चादवा है और वां. भी चाइवा है ॥
या दिलसे अब खुश हकर कर मके! प्यार प्यारे ;
रुवादद तेग्र [खिंच ज़ालिम कड़े उड़ा हमारे ।
जीता रखे ठ् दमकेा या तनसे सिर, उतारे ;
अब राम तेरा आदिक कदता है यों पुकारे।
राज़ी हैं दम उसीमें जिसमें तेरो रज़ञा है ;
याँ योंभीचाहचा है और वो भी वाद वा है!
घुनकी भार्थना जिन कानों से खुनी गई थी; प्रह,लाद'
की पुकार जिन कानों में पहुं ची थी; दौपदी के करुण-कद्ल `
ने जिन कर्ण-कुदरो मे पवेश किया थ, प्राह-अरसित गज की.
गुद्दार जहाँ लगी थी, नचयुचक तीर्थराम का सआर्त-नाद भी
उन्हों कानों में पहुँचा । भगवानू ते आज भी व्याघ्र वनने
का तैयार हैँ; कितु, कमी है प्रद.लाद जैसे भक्तों की !
दुखरे दी दिन कालेज के दठवाईं» झंड्रमऊ ने .तीर्थरामजी . से
प्रार्थना की कि गोसाईजी ! साछ-भर, सदी आप. मेरे ही
घर खादिया करें:। उसने रहने :के - छिये: अपना: घर भी
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