श्री रामदेव चरित मानस | Shri Ramdev Charit Manas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दोहा-वडी भाग शे पोरसी, था गुण तेज श्रनुप। करुण इये ने भालसी, फिकर करे नित भूप ॥ 23 ॥ सुशियौ भगत शिरोमणी, श्रजमलजी रो नौम। बौने बेटी घौमियों, निश्चै बणसी कौम।। 24॥ मैणादे खुद थी भगत, घरती प्रमु रौष्यौन) निश्चै जोग मिल, करे किरपा जब भगवौन ।। 25 ॥ ची.--श्रजमलजी रं लगन मेजियौ, वौमण रौ सनमौन वौ क्रियौ । लगन लियौ हुय गई सगाई, बौटी घर-घर खूब वंधाई। जेसलमेर जौन जव माई, सवरं मंन में खुशी समाई । बैठा चँवरी वर कन्या जब, पूजन, हवन कियी विपरों तब । हथलेवी बौमणों जोड़ियो रोगों मूडी तुरत मोड़ियो । ग्रौख्यो में भट ज्योती आई, गई परगोरी सा पंगठाई। मेणादे री कंचन काया, हूयगो तुरत, देव हरखाया । उठमैणादे फेरा खाया, ब्यांव हुयी. सिंगठा टर्खाया। दोहा-दियी दायजे पोकरण, प्रजमलजी नै गौव। हयौ मटाकौ वेव रौ, उठ, झ्ाज सरनीव 11 26 ॥। चौ.-दोतू' जागा राज चलायी, रजधघानी पोकरण बुशायो । थौ घनरूप छटोडौ भाई, दोनों रं मन प्रीती छाई । कख खुली मनहिं श्रजमलजी री, दो बेट्यों छोटे भाई री । अजमल मेणादे रे साथे, रंव प्रेम वड़ी वौ मै) घनरूपजी सिधाया तीरथ, कियौ घरम रौ धारण वीं पथ । साधू वेश कियौ वी धारण, वौत तीरथों में कर भरमण | मंडी मियाली सतत वेश में, वै पॉंच्या मेवाड़ देश में । उठ समाधी जींबत लीनी, जग में श्रमर कौरती कीनी । * दोहा-लाछा, सुगना डीकरयो, छोडी थी. धनरूप । पाछवोस परनाव्रियो, वौनै अजमल.. भूप ॥ 27 ॥ रथा वौँनडा मरत में, की किरपा करतार । श्रजमल.जी रे घर लियौ, रामदेव म्रवतार ॥। 28 ॥। पुरखों री पावन कथा, बाय री सुख सार । बूले री हेलो सुर रामा राजकुमार ॥ 29 ॥। { 15 1




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