भारतीय गणतंत्र का संविधान | Bharatiya Gantantra Ka Savidhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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झाघुनिक भारत का संवैधानिक विकास ११ सकता, मद्यनिषेघ, छूत-भ्र्ूत की भावना का परित्याग श्रौर हरिजन-उत्यान ब्रादि इन आग्दोलनो के उद्देश्य भौर लक्ष्य थे । इस कार्यक्रम को झपनाने का भ्र्थ यह था कि कांग्रेस नें श्रपनी पूर्व-परम्परा के विरुद्ध भर्थात्‌ संवैधानिकता के मार्ग को छोड़ कर ग्रत्यक्ष झाव्दोलन के क्षेत्र में प्रवेश किया, यद्यपि यह सीधी-कार्रवाई पूर्णतः शाहिमय साधनों से ही किये जाने का निश्चय डिया गया था। वहुर्त से झनुभवी भोर पुराने कॉग्रेस नेता इस कार्यक्रम की नहीं स्वीकार कर सके भ्रौर वे कांग्रेस से श्रलग हो गये । इन लोगों ने उदार-दल की स्थापना कर ली । सहयोग शरीर खिलाफत श्रार्दोलन लगभग दो वर्षों तक चलते रहे । लेकिन जैसा मूल विचार या, ये भ्रान्दोलन शातिपूर्ण न रह सके । कई स्थानों में हिसात्मक पद हो गये । इन हिसात्मक उपद्रवो में चौरीचौरां काण्ड विशेष रूप से उल्लेखनीय है । वहाँ एक जनसमूह ने एक थाने में श्राग लगा कर कुछ सिपाहियों को जीवित ही जता दिया । इस काण्ड से श्ुव्य होकर गाधो जौ ने श्रान्दोलन स्थगित कर दिया । स्थराञ्य-दल--्रघदोग श्रान्दोलन के वादे परित मोतीलाल नेहरू ग्रोर सी० श्रार० दास ध्रादि ने मिलकर स्वराज्य दल को स्थापना की । इस दल का उद्देश्य 'विधानमण्डल में जाकर अन्दर ते सरकारी नीतियों का विरीध बरना था । यह वार्य अत्यन्त योग्यतापूरवक लगभग दस वर्षों तक किया गया श्रौर सारे देश को उन सुधारों का थोथापन दिखला दिया गया जिनका डका अग्रेजो ने सारी दुनिया मे पीटा था 1 समु १६२४ के बाद श्रतहयोग शान्दोलत काल को हित्दू-मुस्लिम एकता भग हो गयी । खिलाफत के प्रसन्न द्वारा जो एकता स्थापित हो गयी थी, वह इसलिए भरधिक दिनों तक न टिक सकी क्योंकि फिर उसके लिए कोई श्रावार ही न स्हा। एक शोर तो मुसलमानों से हिन्दुम्रो को इस्लाम धर्म में दीक्षित करना प्रारम्भ कर दिया श्र दूसरी औओर हिन्दुग्ोों ने भी 'शुद्धि' श्ारम्भ कर दी । शुद्धि द्वारा मुसलमानों की शुद्ध करके हिन्दू बना लिया जाता था । देश के अनेक भागों में अत्यन्त चिन्ताजनक हिन्दु-पुस्लिम दगे हो गये । साइमन फमीशन--सच्ु १९१६ के सुधार प्रायः बिल्कुल श्रमफल सिद्ध होने के कारण सन १९२७ में ब्रिटिश संसद ने सर जॉन साइमन की श्रष्यक्षता मे एक श्रायोग ( 07}3510पे } नियुक्त क्रिया जिसय कार्यं यद रुाव देना था रिः श्रगि और कौन-कौन से सुवार किये जायें । इस कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था, इसलिए सभी भारतीय राजनीतिक दलों ने मिलकर इसका वहिप्कार किया । 'परिणामतः, साइमन कमीशन ( भ्रायोग ) की रिपोर्ट (प्रतिवेदन) नितात्त मिप्फल रही । समु १६२६ में इंगलैण्ड में श्रमिक-दलीय सरकार पदारूढ हुई । इस सरवार ने तत्का- लीन भारत स्थित वॉयसराय को यह धोपणा करने के लिए वह दिया कि भारत में




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