सूदन - रत्नावली | Sodan - Ratnavli

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Sodan - Ratnavli by सत्यप्रिय - Satyapriy

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क ( १ ) पूवं ३८ मील के फासले पर स्थित एक कस्वा) को नष्ट भ्रष्ट कर दिया था-- दण्ड देने कौ श्रपना सेनापति भेजा था। सूरजमल के सवसे प्रथम पूर्वंन का नाम जिससे ग्रन्थकार सूदन जी से इस वंश का प्रारम्भ माना है भूरेसिंह था। इन भूरेसिंह मूप से श्राठवीं पीढ़ी पर भावसिंह उदित ए । यह मौजा सिनसिन में निवास करने परे । यही भावर्सिंह इतिहास मं भज्जा करे नाम से प्रसिद्ध हैं और इन्होंने ही ्ोरंगजेव के दक्षिण चले जाने पर सथुरा के ग्रास परास लूटमार प्रारम्भ कर दी थी | भावसिंद के तीन पुत्र हुए किन्तु सूदन ने केवल एक पुत्र का नामोंस्‍्लख किया है} उनका नाम नरेन्द्र बचदनसिंद है जिसकी कवि सर्वत्र बदनेश कहकर सम्बोधित करता है । यह्दी बदनरसिंह हमारे चरित्र नायक, जाट-कूल-भूपण सूरजमल के पूज्य पिता हैं । सूरजमल के प्रनाप- सिंह नाम का एक सहोदर भाई और था जो बाजीराव के साथ युद्ध करता हुआ्रा वीरगति को प्राप्त हो गया था | सूदन ने इन्हीं सूरजमल का सुजान-चरित्र में चित्र श्रक्कित किया है | जाट पहले ती सेना मं नोकरी करते रदे किन्तु औरज्ञजेव के पश्चात राज्य सन्ताकरे सूरो के शिथिल होते टी इन्होंने अपनी वैभव-वद्धि करी भरसक चेश की श्रौरः उसध्येय की सिद्धि इस समुदाय के नेताश्रों को लूटमार ही में दिखाई पड़ी श्रतः कुछ काल तक खूब लूटमार की गई । आगरे के ताजमहल और सिकन्दरे की इमारतों के सम्बन्ध से इनकी यह लूट इतिहास में श्रौर भी शधिक प्रसिद्ध हो गई है; क्योंकि ऐसा प्रसिद्ध है कि सिकन्दरे के मकबरे से श्रकवर की हृड्डियाँ खुदवा कर श्रलगं फिकवा दी गई ्रौर ताजमहल के दरवाजे श्रादि तोड़ डाले गये । इस लूटमार के रोकने का प्रयत्न दिल्‍ली के कटपृतली 'बादशाहों द्वारा भरसक किया गया श्र किसी अंश तक उन्हें: अपने इस कार्य में सऊलता भी मिली क्रिनतु जारो की वाञ्छित वस्तु परि गणना सर वैमवादि उन्हें भी किसी झंश में प्राप्त हो ही गये । जब दिल्‍ली के ्‌




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