भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | Bharatendu Harishchandra

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Bharatendu Harishchandra by ब्रजरत्न दास - Brajratna Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सवय ५ दे के समय में बंगाल में अंग्रेजों का प्रमुख फैल चला था श्र इन्होंने इन नवागंतुक व्यापाश्यिं की सहायता कर बंगाल की नवाबी के नष्ट करने में योग भी दिया था । उसी के फल स्वरूप इनकी वह दशा हुई थी जिसका वणंन आगे रिया जायगा} उस समय इनका मान भी विशेष था, जिससे इसके तीन पुत्रों को राजा छोर एक को राय बहादुर की पद्वी प्राप्त हुई थी । सेठ अभीनचंद इतिहास प्रसिद्ध पुरुष हो गए हैं और इनके पिता तथा रादा का कुछ भी बृत्तान्त नहीं मिलता, इसलिए उन्हीं का परिचय पहले दिया जाता है त १ | ॥ मुग्रल-साभ्राञ्य का च्रवनति-काल औरंगजेब की मृत्यु से ्ारंम होता ` है और इसी काल में इस जजरित साम्राज्य की सीमा पर प्रान्तों के श्रध्यत्तगण धीरे धीरे स्वतंत्र होने लगे थे । श्नोरंगजेव के पोत्र अजीमुश्शान तथा प्रपोत्रफ़र खलिअर की सूबेदारी के समय में मुशिंद छुलीखाँ बंगाल का दीवान था, जो फ़रु खुसियर के सम्रादू दानि पर बिहार, बंगाल तथा उड़ीसा का सूतेदार नियुक्त किया ग्याथा। इसकी सृत्यु पर इसका दामाद शुजाउलूमुल्क तथा उसके अनंतर उसका पुत्र सफ़राज़ खाँ क्रमशः प्रांताध्यक्ष (सूबेदार।) नियत हुये। सच्‌ १७४० ई० में 'छलीवर्दी खाँ ने सफराज़ खाँ के युद्ध में सार कर बंगाल पर छधिकार कर लिया। इस प्रकार देखा जाता है कि ये लोग नाम मात्र के मुगल-सब्रादू के अधीनस्थ कहलाते थे पर वास्तव में स्वतंत्र थे । ्रलीवर्दी के पुत्र न थे, पर तीन कन्यायं थी, जो इसके बड़े भाई हाजी मुददम्मद के तीन पुत्रों के यादी गह थीं । इन सभी कन्यायों के संताने थी प्र इनमें सबसे छोटी 1. 7 11 सठ श्रभीरचेदं युक्त है, नाम में लाया गया हैं मौर उच्चारण भीं सा करने तथा लिखते लिखते द्रविहु के खुप्त हो जाने से अमीचंद रह गया है । फ़ारसी में चन्द्विंदु के न होने से... पूरे ठ शं: नू * का प्रयोग होता है । निखिलनाथ राय की र्णीदाबाद्‌ काषिनी, चुस्तक के ६७ प्० पर भी झः न नचंद ही दिया है




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