पद्मपुराण भाषा भाग - 3 | Padmapuran Bhasha Bhag - 3

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Padmapuran Bhasha Bhag - 3 by पं रामबिहारी शुक्ल - Pt. Rambihari Shukl

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्वगखणड ले ० | भित्रा कपिनला २१ चन्द्रा वहफली कुचीरा अम्बुवाहिनी बैनदी. द्रछावेणा तुक़वेगा महानदी २२ विदिशा कृष्णवेणा तावा कपि- भरदाजीनदी कौ्णिकी नदी शोणा बाहुदा चन्द्रमा २७ दुगा अतः- शिखा ब्रह्ममेध्या हषदती परोक्षा अथरोही जम्बूनदी २५ सुनासा तमसा दासी सामान्या वरणा असि नीरा धृतिकरी पणाशा महा- नदी २६ मानवी टषमा मासा ब्रह्ममेध्या ओर रषद तीनदीको जर पीते हैं हे दिजश्रेष्ठो ! ये और बहुत महानदियां ओर भी हैँ २७. सदैव निरामया कृष्णा मंदगा मन्दवाहिनी ब्राह्यसी महागौरी दग २८ चित्रोत्पछा व्ररथा अतुखा रोहिणी मन्दाकिनी वतरा को- कामहानदी २९ झाकिमती अनंगा उपसाह्मया लोहित्या करताया दषकात्वया ३० कमारी ऋषितस्या मारिषा सरस्वती मन्दाकिनी सपण्या अ।र सव गह ३१ ये सव ससार का माता हू आर सब महाफल देनैवाटी हं तेसेही अच्छे प्रकाशगासं संकडां सहस्। नदियां हं ३२ दहं विग्र! जसी स्छतेह उसके अनुसर ये नदियां कं इसके. उपरान्त देशा को हमारे कहते हय जानये ३३ कुर -पाचारु शाल्व मात्रेय जंगल शरसन पलन्द्‌ बोध मारु ३४ रस्य कराह सागध्य कृटसप काशि कोशल चेद्‌ मत्स्य करूष माज




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