ग़ालिब | Ghalib

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Ghalib by मुहम्मद मुजीब - Mohammad Mujeeb

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मुहम्मद मुजीब - Mohammad Mujeeb

Add Infomation AboutMohammad Mujeeb

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
गालिबव का उदूँ कलाम मिर्जा गालिव न लिखा है कि उह शेरो शाइरी का शौक उसी ज्मान से हुआ जब से कि वह लहू-दो लइव मोर फिस्को-फुजूर मे पड गए गामा यह शौक उनकी शरिसयत के फरीग की अलामतों मे से एक अलामत थी। उनके इच्तिदाई कलाम के नमूने हमारे सामन होते और उ हें वक्‍ते तसनीफ के एतबार से तरतीब दिया जा सकता तो हम अदाजा कर सकते कि उनकी जौलानी उठे किन सम्ती में क्तिनी दूर तक ले गई और उ हूं अपनी खास सलाहियतो और असल जोक का एहसास किस तरह हुआ। बडे अफसोस की बात है कि गालिब ने अपना सारा कलाम रददी को रही समझकर भी पडा नहीं रहने दिया और पहले इतयाव में जो कुछ उठ्दोने शामिल नहीं किया वह हमेशा के लिए जायअ हो गया है। जो रहा सहा इम्कान गालिवं की अदबो सौर जमालियाती नश्वो नुमा का पता लगाने का था बहू गज़ला को रदीफवार तरतीव देने के दस्तुर ने बाकी न रखा । अब क्या मालूम कि यह शेर पद्रह सोलह या बीस बाईस बरस की उम्र मे कहा गया था--- उरूजे-नाउमीदी चइ्मे-जय्मे चख क्या जाने बहारे बेखिज़ा अज जाहे वेतासीर है वैदा पे खल कूद २ दुराचार हे व्यक्तित्व ४ व्यापकता ४ प्रतीकी ६ प्राइभिक ७ रचतां बला दप्टिसे £ श्रमदद्ध १० स्फूति उमंग ११ दिशाओ १२ याग्यठाओआ समझदारी १३ बास्तदिक १४ लामद वू४ अनुभव होता १६ चयन पूछ नष्ट १८ सभा बना १४ साहित्यिक २० सोल्यशास्व्रीय २१ विकास र२ सुकात ऋम से २३ नियम र सराश्य का उत्यान २५ आकाश के धाव की बाख २६ बिना पतझड वी ददार ७ से २८ प्रभावहीन विलाप ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now