नागरी प्रचारिणी पत्रिका भाग-12 | Nagaripracharini Patrika Vol. 12

Nagaripracharini Patrika Vol. 12 by महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इंदेर म्यूजियम का एक शिलालेख ४ है। शिलालेख के दाहिनी तरफ के हाशिए में मलिक बहरी, खुद! हुआ है, जा पीछे से किसी का लिखा जान पड़ता रै, क्योकि मूल लेख की लिखावट शरीर इन दो शब्दों के अक्षरों में स्पष्ट अंतर है । इस लेख की प्रत्येक पंक्ति के आरंभ में दे खड़ी पाइयाँ देख पड़ती हैं । लेखारंभ में किए स्ए गणेशजी आर सरस्वती को प्रणाम ( स्वस्ति श्रीगणेशभारतीभ्यानमः ) तथा लेखात मं प्रकटित लेखक प्रर पाठक के प्रति शुभकामना कं अतिरिक्त सारे लेख को रचना संस्कृत पद्य में हुई 2ै। संस्कृत लिखावट की कुल प॑क्तियां ३५ शरीर साकी कौ सख्या ६४ वस्तुतः यदह शिलां एक प्रशस्ति हे । इसको भाषा सरल एवं सरस छै।. पढ़ने पर जान पढ़ता हैं कि इसका रस्चयिता, अथात्‌ मह्देश्वर कवि, साहिय-शास्त्र से पूण परिचित था । इसकी रचना सें अझनुप्रास, यमक म्रादि शब्दालें कारों श्रार उपसा, रूपक, दीपक, श्रतिशयेक्ति, अ्थातिरन्यास, परिसंख्या, श्रांतिमत्‌, एकावली एवं दृष्टांत आदि अधालिंकारेों का यत्र-तत्र उपयोग देख पड़ता है । अपने शब्द-भंडार का प्रदशन लिये प्रशस्तिकार मे साहित्य एवं व्याकरण कं बहुत कम स्पा उधर के कुछ शव्यं ही पढें जाते हैं ।. दिन श्रहमद के अनुसार फारसी की दूसरी आधी पंथ रा पाठ इस प्रकार हः-- डक गे ८.६. (?) 19 । (७ ४६. ><= 2^+~ ग्म है (०१८५५ १८. ० 9 (5 ५ (> | ४... <: देर वक्त नमाजे श्रसर माह शच्रल्ल यफृवाज्‌ ( ) मल्लि वदरी... .. फी सने श्र्दद्‌ च तसश्न व समाने मश्रषदिन, अनुवाद--शब्वाल के महीने में असर की नमाज़ ( यपराह्व में हानेवाली नमाज ) के समय मलिक बहरी ने सच ८३१५ (हिजरी नल वि०् से १५४३) में... इस सचू से पता चढ़ता है कि इस शिलालेख का फारसी श्चरा अशस्ति की रचना से अनुमान दे चघ के अनंतर खादा गया था । `




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