रेडियो संसार | Redio Sansar

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Redio Sansar by देवकीनन्दन बन्सल - Devkinandan Bansal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ शिश्यो का यभुख आकषष्कतां मारकोनीः रेडियो फै श्रायिप्कार में किसी एक यवानि काषाय नदी है। सीय दर मी इसका श्माविप्कार्‌ श्रनेको पेमे व॑त्नानिक सिद्धान्तो श्रौर नुमृनियो फे थल पर दटृश्रादजोकि मारकोनी मे पले ही श्रनेक वैशानिगों केद्राया प्रचजितदो युकोथी। जम कि परिजली, वायु की लष, शावा फी लर छीर प्रष्धी का गोल होना श्ादि । यदद सभी शोज पेमी थी जिनफे श्राधार पर मारकोनी को वायरठैन (९17०1९8) शर्थान रेडियो फे श्राविष्कर करने फा सौभाग्य प्राप्त हुआ । गोया' मारफोनी फो यष्‌ सथ मिद्धान्न श्रौर '्नवेपण विरासत के रुप में मिले थे । मारकोनी फा पूरा नाम श्रीयुत शुलियो मारकोनी था । मारकोनी का जन्म इटली के घोलोगा नामक नगर में २५ अप्रैल सन ८३४ ई. थो हुआ था । नकर पिता दटैलियन शरीर माता श्रायरिरा थी । प्रारम्भ में इनकी शिक्षा का प्रथन्थ धीलोना में दी कर दिया गया श्र ये मन लगा कर्‌ षां पने लगे ' मारकोनी सेल कूद मे बहुत रुचि लेते थे और इनकी प्रदत्त स्कूल की पदाद्‌ फे शललावा कोई दूसरा साधारण कायं फरने की थी । युद्ध यहे यने पर बन्दे प्रलोरेश श्रौर लेगोन के स्वूल्ों में शिक्षा प्राम करने के लिये भेज दिया गया । इन्दे विद्युत विज्ञान से धटुत प्रेम था श्रार्‌ श्रक्सर ये विजली के खम्मा को एकं टक लगाकर अदी देर तक देखते रहन ये तो कभी-कभी विजली के प्लग शरीर स्वीच र्दा पर एक ौतुदल भरी दष्ट डालते ये । प्लोरेन्श से इन्हें फिर. यौलीना के विद्विद्यालय मे मेज दिया गया। माप्कोनी श्रभी तक श्चपने श्चाचिप्कार के मानं पर सही पड़ पायेथे! वे व्रिजली की लद मे सर पचाने किन्तु तव तक कौन जानता था कि यद्द दी युवक विश्व के इतिद्दास में मर विभूतियों की श्रेणियों में गिना लायगा | सन्‌ १८६४ ई० भे क्क मेकसवैल नामक सुप्रसिद गिं! शाचिरा ने पेसी चुम्बकिय लयो का पता लगाया कि नभचातं काषिना ठा के, वायु कीक के द्वारा एक स्थान सेः




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