अंतर्राष्ट्रीय राजनीति | International Politics

International Politics by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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18 | अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति जैसा कोई स्वायत्त विषय सन्‌ 1945 तक नहीं उभर पाया, (1) ए पृथक विपय के रूप में इसका अस्तित्व गभी भी सन्देहास्पद है चकि इसका सार विशिष्ट, कषत और ताकिक, संद्ान्तिफ दष्ट स्पष्ट फरना कठिन है तथा (पं) राजनीतिक चिर त ष्ट विधि भौर संगठन, फूटनीतिक इतिह्‌ 1 11 व # इतिहास ४ -इसके प्रधान निर्माणक विपय हैं । (7) 1945 से वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति विपय के लेखकों में सिद्धान्त निर्माण के सम्बन्ध में अरुचि पायी जाती थी 11 इन्दी कारणों से सन्‌ 1945 तक बन्तरष्टरीय राजनीति विषय स्वायत्त विषय का स्वरूप धारण नहीं कर सका । किसी भी विपय के अपने स्वायत्त अस्तित्व के लिए कतिपय अहंताएँ आवश्यक मानी जाती हः जैसे प्रथम, समुचित एवं निश्चित विपय-सामग्री का होना; द्वितीय, विषय सामग्री का व्यवस्थित होना; तृतीय, स्वयं के वैलानिक सिद्धान्तों का होना भादि भादि । अपनी शेशवावस्था में अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की विषय-वस्तु एकदम निश्चित नहीं थी । इतिहास, अन्तर्राष्ट्रीय काशुन तथा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं की परिधि में विखरी हुई थी । इस विखरे हुए व्यवस्थित माहौल में मूल समस्या यह थी कि निश्चित वैज्ञानिक सिद्धान्त के अभाव में सामग्री का एकीकरण किस भांति किया जाये ? । कि फिर भी यह्‌ माना जाता है कि अमरीकन लेखकों, विचारकों मौर विद्वानों ने प्रथम विष्व- युद्ध के वाद से ही अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति विषय के अध्ययन से वैज्ञानिक झुकाव का परिचय दे दिया था । अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों पर प्रमुख विद्वादों द्वारा पृथक रूप से कुछ ग्रन्थ लिखे गये, इनमें पॉल, राइन्श, बन्सं, जेम्स, ब्नाइस, हवंट गिप्चन्स, रेमॉण्ड बुल, पाकर सुन, शूमां, एल्फ्रेड जिसने, ई० एच० कार० भादि प्रमुख थे । इनके अतिरिक्त अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की 'विषय-सामग्री को व्यवस्थित करने तथा अध्ययन क्षेत्र को निश्चित करने के भी प्रयत्न हुए । इस सम्बन्ध में पाकंर मून तथा एल्फ्रेड जिमनें के नाम उल्लेखनीय हैं । अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में विदेश नीति के विषय में सन्दर्भ ग्रन्थ सुची का भी संकलन किया गया । इस युग में सम्भवत: फ्रेंक रसेल ही ऐसे विद्वान थे जिन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के सिद्धान्त के विपय में एक अध्ययन प्रस्तुत किया । इन ग्रन्थों के सन्दर्भ में यह कहा जा सकता है कि इनसे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति को एक स्वायत्त ज्ञान शाखा के रूप में स्थापित होने मे समथ॑न मिला । फिर भी यह एक तथ्य है कि 1945 तक अन्तर्राष्ट्रीय- राजनीति विषय को घह दर्जा तहं मिल पाया जो कि “इतिहास अथंशास्व' भौर राजनीति. शास्र आदि विषयों को मिल चुका था । नील भौर हेमलेट के अभिमत में “अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों, के अध्ययन की खोज अमरीकन मस्तिष्क की उपज है प्रथम विश्वयुद्ध के बाद से ही अमेरिकन वद्धिजीवी समाज ने दुनिया की वोज कर ली थी ।*“ । द्वितीय विश्वयुद्ध के वाद अन्तर्यष्टरीय राजनीति को एक स्वायत्त ज्ञान शाखा के रूप में अपना अस्तित्व कायम करने में काफी सुविधा हई । युद्धोपरान्त दशक में अनेक पुस्तकें और 1 ^५॥\ (टस 0 4881641 पतेक्र ए उपिएवा0प81 इ61800085 800 € त€श्ने०0व्छ ०113 0076 0081 एत 808९6518 ‡ 1. 1081 10670811098| 61211008 ताकि 001 @प8८ 88 8 8602726 २५३. वलणं< 8 रवण एण] शदः तात छशा 1, 2. 118 81108 85 89 1०५०0९० १6०६ 26206010 ग015601706› 18 81111 70 0०४६ ९८८ब ०५6 115 30081868 6६०१००६ ४९ 0606 07661861४-त18070611# 0८ 00 तनाफं16त्‌, 3. 06 शपत$ क एनाव्‌ 1069६0४, 10 612{1078] 12, 870 0680724- ०४5 820 610108४6 0190 = ८008111016 106 ९5860५6 ° 106 26110031 200708८0, का 4. 13 0184 पणा०४६६5८व॥ हि. फिट छणिफपाधाणा 0 ल्ग, 80 6856181 दावानल 2 ४४ इलंलणप्06 7 2489. - पाला पंप िला, प्रक्ष0ाए घपत उलंध्पर्क्तिए अपितु रण 060210981 एगा०8. ह, 2. ताज 2 & हकत पा २०४1, ८. कलाया रका 10९02, 1980, छू, 35, , , 1 }२६8॥ 89 प्रणान 09४6 २३56164, १५....0ल 0810021 ६6121०08 18 89 एला छणिर्टाधिएए पश्र णण पठ चट बि फएण्यत कदा न टा (6 ठैपाटांट्ए इंघ21600081 द्नफणिणणफ़ 015609९ १० 06. - प्त, 7२०४1 ०० 2. पक्षा, - 106 विरलः पिल्लः {2960 ग [0680 221 ‰€121003,**, दला अवाद ववा: 13, 1960, ०. 283.




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