तत्त्वभावना [बृहत सम्यिक पथ] | Tatvabhavana (brahat Samayikpath)
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
372
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भीञअमितगति आचा्यैरुत--
त च्वभावनमा
या
बड़ा सामरिक फाद ४
मङ्कलाचरण-दोहा ।
अदैत्सिद्धाचार्यको, वेदि सधु युणद्ाय ।
जिनवाणी उष चेखनिन, मदिर नमूं सुध्याय ॥ ९॥
परमातम सम आपको, ध्याय गुण उर खय ।
समताभाव प्रकाशके; आतम सुख स्खकाय॥२॥
सामायिकके भावको; कर मकाझा निज ज्ञान ।
भव्यजीव भी रस पियं, यह उपकार पिछान ॥ २॥
अमितिगती आचायेकृत, तत्त्वभावना सार !
वाखबोध भाषा करूं, भवदधि तारणहार ॥ '४॥।
सन्मति वीर सुवीरको; बद्धमान महावीर ।
गोतम गुरू कुन्दादिको, सुमरों लिय घरि धघीर ॥ ५ ॥
उत्थानिका-पहले ही चल्नेमं जो हिता हुई उत्तका पश्चा-
ताप करते है-
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