विज्ञान और अध्यात्म | Vigyan Aur Adhyatma

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Vigyan Aur Adhyatma by अमरेन्द्र विजय - Amarendra Vijay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१७ चिस्तृत एवं गहरी समीक्षा को अथिनों ५।८५-त।घन। के गहन रहस्यों की विवेचन की यहाँ जिन्होंने अपेक्षा रखी हो उनको नह श्रपेक्ष) यह पुस्तक पूरी न कर सके । शाध्यारिविक सूण्यों में जिन्हे श्रद्धा है उन्हे भी, उपर-ऊअ५९ से देखने ५९ थहूं फुस्छक २।५५ उपयोगों प्रतीत नहों। 'ऊपर-ऊपर' से इसलिए कहता हूँ कि विस।न थी सानो के नवतो की पुष्टि कर रहा है यह जानकारी उन सदी सम्पी को थी रसदाथी लगी है; ३०१ ही नही, ७ चभे से बहु्ों ने तो इसके वाचन से उनकी अपनी श्रा देकर होमे का निजी अनुभव मेरे आगे अत्यन्त श्रमोद, आर्य एनं असेरद के सा ५५८ भो ज्िथाहै। फिर, सम्भ हि कि प्रथस्‌ दष्ट में उस व॒र्गें को अपने लिए यह पुस्तक उपयोगी अतीत न हो, १९्तु मूके विश्वास है कि ६स पुर्तक के परिशीलन से नई पीढ़ी का घ॑ मंश्रद्ध। रहित परन्तु मध्यस्थ दृष्टि से विचार करने वाला वर्ग आध्यार्मिक तथ्यों कम्‌ यथाय भूल्याक करने को दृष्टि आाप्त कर सकाः शादु शुनक वर्ग श्रतना श्रद्धदीप अधिक सतेज कर घल्थत। पंगे श्रयुसन करें श्रौर वनो चट्‌ श्रद्धा तने मिन वर्ग मे भीरनपुरवेक न्थ करने का ‰+।।९५य२१।६ भी ५।ध क२५। । जमरेच्द{्विसय




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